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वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले राज्य कर विभाग (स्टेट जीएसटी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए देहरादून, चंबा और रुद्रपुर की तीन फर्मों पर छापेमारी की। जांच में सामने आया कि ये फर्में फर्जी बिलों के जरिए इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) हड़पकर टैक्स चोरी कर रही थीं। इस घोटाले से सरकार को 2.78 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
राज्य कर विभाग मुख्यालय की सेंट्रल इंटेलिजेंस यूनिट (सीआईयू) ने आयुक्त डॉ. अहमद इकबाल के निर्देश पर वर्क कॉन्ट्रैक्ट से जुड़ी फर्मों के ई-वे बिल और जीएसटी पोर्टल पर उपलब्ध डेटा की जांच की। जांच में पता चला कि ये फर्में फर्जी खरीद दिखाकर फर्जी जीएसटी अदा कर रही थीं और उसका समायोजन आईटीसी के रूप में कर रही थीं।
छापेमारी के दौरान फर्मों ने मौके पर ही 66.1 लाख रुपये जमा करा दिए। शेष राशि की वसूली के लिए आगे की कार्रवाई जारी है। जांच में यह भी सामने आया कि फर्मों ने जिन वाहनों के लिए ई-वे बिल बनाए, उन्होंने संबंधित टोल प्लाजा को पार ही नहीं किया, बल्कि वे किसी और रूट पर पाए गए।
इस कार्रवाई में उपायुक्त विनय पांडे, निखिलेश श्रीवास्तव, विनय ओझा, सहायक आयुक्त योगेश रावत, मनमोहन असवाल, रजनीकांत शाही, राज्य कर अधिकारी ईशा, गजेंद्र भंडारी, शैलेंद्र चमोली और हेमा नेगी समेत कई अधिकारी शामिल रहे।
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