देहरादून: उत्तराखंड में कार्यरत 2004 बैच के वरिष्ठ IAS अधिकारी बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) के लिए आवेदन कर दिया है। इस फैसले ने नौकरशाही में हलचल मचा दी है, क्योंकि यह अफसर अपने काम के प्रति समर्पण और ईमानदारी के लिए जाना जाता है।
हालांकि उन्होंने पारिवारिक कारणों का हवाला दिया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, वे निजी क्षेत्र में बेहतर अवसरों के चलते यह कदम उठा रहे हैं। बताया जा रहा है कि अपने मूल राज्य आंध्र प्रदेश में उन्हें बेहतर करियर विकल्प मिल सकते हैं।
बीवीआरसी पुरुषोत्तम वर्तमान में पशुपालन और मत्स्य विभाग के सचिव पद पर तैनात हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से आंध्र प्रदेश में प्रतिनियुक्ति पर जाने की भी अनुमति मांगी थी, जिसे उत्तराखंड सरकार ने मंजूरी दे दी थी। लेकिन भारत सरकार के कड़े नियमों के चलते वे प्रतिनियुक्ति पर नहीं जा सके।
गौरतलब है कि अभी उनकी सेवा में करीब 12 साल बाकी हैं और उनका रिटायरमेंट वर्ष 2037 में तय है। इसके बावजूद, वे समय से पहले ही सरकारी सेवा को अलविदा कहने की तैयारी में हैं।
यह कोई पहला मौका नहीं है जब उत्तराखंड में किसी ऑल इंडिया सर्विस अफसर ने VRS लिया हो। इससे पहले उमाकांत पंवार, मनीषा पंवार, राकेश कुमार, भूपेंद्र कौर औलख, वी विनय कुमार और हाल ही में IFS अफसर मनोज चंद्रन भी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुके हैं।
उत्तराखंड की नौकरशाही में यह घटनाक्रम एक बार फिर से यह सोचने पर मजबूर कर रहा है कि क्या राज्य की ट्रांसफर-पोस्टिंग प्रणाली और कार्यसंस्कृति अफसरों को समय से पहले विदा लेने के लिए मजबूर कर रही है?