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उत्तराखंड में आगामी पंचायत चुनावों को लेकर एक बड़ा विवाद सामने आया है। नैनीताल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को Uttarakhand Panchayat Elections 2025 से पहले मतदाता सूची में सामने आई गड़बड़ियों की गहन जांच करने के निर्देश दिए हैं। देहरादून जिले के एक गांव में केवल दो परिवार निवास कर रहे हैं, लेकिन पंचायत की voter list में 122 नाम दर्ज हैं।
High Court Intervention: छह सप्ताह में जांच पूरी करने के आदेश
वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ ने यह आदेश महिपाल सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याचिका में कहा गया कि ग्राम सभा बड़ौत के सतेला गांव में केवल दो ही परिवार रह रहे हैं और शेष लोग रोजगार की तलाश में गांव छोड़ चुके हैं।
इसके बावजूद electoral roll में 122 लोगों के नाम दर्ज होना, प्रशासन की गंभीर चूक को दर्शाता है। हाई कोर्ट ने जिलाधिकारी देहरादून द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच कमेटी को निर्देश दिए हैं कि वे छह सप्ताह के भीतर इस मामले की जांच पूरी कर duplicate entries in voter list को हटाएं।
Government Schemes Misuse Allegation: सरकारी योजनाओं के दुरुपयोग का आरोप
याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि मतदाता सूची के इस फर्जी आंकड़े का उपयोग कर सरकारी योजनाओं का गलत तरीके से लाभ उठाया जा रहा है। गांव के केवल दो वास्तविक परिवारों को government schemes का कोई लाभ नहीं मिल रहा है जबकि योजनाओं का फंड bogus beneficiaries के नाम पर निकाला जा रहा है।
Election Transparency Concern: पंचायत चुनावों की पारदर्शिता पर सवाल
इस पूरे प्रकरण से आगामी पंचायत चुनावों की पारदर्शिता पर भी सवाल उठे हैं। यदि समय रहते इस गड़बड़ी को ठीक नहीं किया गया तो free and fair elections कराना मुश्किल हो सकता है। याचिका में मांग की गई है कि पंचायत चुनावों से पहले पूरे राज्य की वोटर लिस्ट का पुनः सत्यापन किया जाए ताकि वास्तविक मतदाताओं को ही मतदान का अधिकार मिले।