Dehradun Salary Scam | Fake Employees | Nagar Nigam Corruption | Mohalla Swachhta Samiti Fraud | Uttarakhand News
देहरादून नगर निगम से एक चौंकाने वाला घोटाला सामने आया है, जहां 99 फर्जी कर्मचारियों के नाम पर पांच वर्षों तक लगभग ₹9 करोड़ का वेतन निकाल लिया गया। यह वेतन Mohalla Swachhta Samiti Scam से जुड़ा है, जहां 2019 से 2023 तक चल रहे फर्जीवाड़े को सवा साल तक दबाकर रखा गया।
High Court की सख्ती के बाद दर्ज हुआ मुकदमा
यह मामला जनवरी 2024 में पहली बार उजागर हुआ था, जब जिलाधिकारी के आदेश पर CDO ने इसकी जांच शुरू की। जांच में स्पष्ट हो गया कि फर्जी नामों से वेतन निकाला गया। इसके बावजूद राजनीतिक दबाव और प्रशासनिक सुस्ती के कारण कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई।
हालांकि, 23 मई 2025 को अधिवक्ता Vikesh Negi की जनहित याचिका पर Uttarakhand High Court ने राज्य सरकार से जवाब मांगा। इसके बाद नगर निगम ने तत्काल हरकत में आते हुए शहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया।
कैसे रचा गया यह वेतन घोटाला?
How the Dehradun Salary Fraud Was Executed
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वर्ष 2019 में नगर निगम ने 100 मोहल्ला स्वच्छता समितियां गठित कीं।
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हर समिति में एक अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष नामित किया गया।
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समितियों के नाम पर बैंक खाते खोले गए, जिनमें वेतन राशि ट्रांसफर होती थी।
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दिसंबर 2023 में जब फिजिकल वेरिफिकेशन हुआ, तो 99 कर्मचारी पूरी तरह फर्जी पाए गए।
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प्रति कर्मचारी ₹15,000 वेतन के हिसाब से मासिक ₹14.85 लाख और पांच वर्षों में ₹8.91 करोड़ का फर्जी भुगतान हुआ।
आरोपियों की भूमिका: कौन है जिम्मेदार?
Committee Members Under Investigation
Nagar Nigam Dehradun की FIR के अनुसार, फर्जी कर्मचारियों की पुष्टि उन्हीं सूचियों से हुई, जिन पर समिति अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष के हस्ताक्षर थे। अब पुलिस तीनों की भूमिका की जांच करेगी। आरोप साबित होने पर इनके खिलाफ IPC की गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज होगा।
जनहित याचिका और मीडिया की भूमिका
Public Interest Litigation and Media Pressure
इस घोटाले को उजागर करने में मीडिया की बड़ी भूमिका रही। Dainik Jagran ने लगातार रिपोर्ट्स प्रकाशित कर प्रशासन का ध्यान इस ओर खींचा। अंततः हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल हुई, जिसने प्रशासन को मजबूरन कार्रवाई करने के लिए विवश किया।
आगे की कार्रवाई क्या होगी?
What’s Next in the Dehradun Salary Scam Case?
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अगली सुनवाई 7 जुलाई 2025 को उत्तराखंड हाईकोर्ट में होनी है।
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पुलिस ने दस्तावेजी सबूत और बैंक रिकॉर्ड खंगालने शुरू कर दिए हैं।
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दोषी पाए जाने पर समिति के अधिकारियों पर Fraud, Criminal Breach of Trust, और Forgery Charges में कार्रवाई होगी।