मुख्यमंत्री धामी की अध्यक्षता में ऐतिहासिक बैठक
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आज सचिवालय में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। यह बैठक Uttarakhand Bhasha Sansthan द्वारा राज्य की लोकभाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से बुलाई गई थी।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी सहित राज्य की सभी प्रमुख regional languages of Uttarakhand को संरक्षित करने के लिए डिजिटल प्रयासों को तेज किया जाए।
लोकभाषाएं केवल संवाद नहीं, संस्कृति की आत्मा हैं
मुख्यमंत्री ने कहा,
“गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी जैसी भाषाएं केवल बातचीत का माध्यम नहीं, बल्कि उत्तराखंड की संस्कृति, परंपरा और पहचान की आत्मा हैं। इनका संरक्षण हमारे दायित्वों में शामिल है।”
उन्होंने लोककथाओं, लोकगीतों, पहाड़ी कहावतों और मुहावरों को डिजिटली संरक्षित (digitally preserved folk content) करने के निर्देश दिए ताकि भविष्य की पीढ़ियाँ अपनी जड़ों से जुड़ी रहें।
विश्वविद्यालयों में क्षेत्रीय भाषाओं को मिलेगा नया मंच
बैठक में यह भी तय किया गया कि higher education institutions in Uttarakhand में गढ़वाली और कुमाऊंनी जैसी भाषाओं को बढ़ावा दिया जाएगा।
Doon University पहले से ही गढ़वाली और कुमाऊंनी भाषा के पाठ्यक्रम संचालित कर रहा है, जिसे मुख्यमंत्री ने “एक प्रेरणादायक मॉडल” बताया।
सरकार की पूर्ण प्रतिबद्धता
राज्य सरकार ने दोहराया कि वह preservation of Uttarakhand folk languages के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और आने वाले समय में इन प्रयासों को और गति दी जाएगी।
सरकार का उद्देश्य है कि इन भाषाओं को educational curriculum, digital archives, और cultural events के ज़रिए आम जनमानस तक पहुंचाया जाए।
निष्कर्ष
यह बैठक उत्तराखंड की भाषाई विरासत को संरक्षित रखने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में उठाया गया यह कदम निश्चित ही राज्य की सांस्कृतिक पहचान को मज़बूत करेगा।