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देहरादून। पिस्टल लाइसेंस को निजी हथियार नहीं, बल्कि जिम्मेदारी समझा जाना चाहिए – यही सख्त संदेश दिया है देहरादून जिला प्रशासन ने। आईटीबीपी उत्तरकाशी में तैनात एक इंस्पेक्टर को अपनी ही पत्नी और बेटे पर बात-बात में पिस्टल तानना महंगा पड़ गया। डीएम सविन बंसल ने मामले को गंभीरता से लेते हुए न सिर्फ तत्काल उसका शस्त्र लाइसेंस निरस्त किया, बल्कि एसएसपी देहरादून को मुकदमा दर्ज करने और शस्त्र थाने में जमा करवाने के निर्देश भी दिए।
मामला क्या है?
रेसकोर्स निवासी विकास घिल्डियाल ने हाल ही में जनता दरबार में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसके पिता, जो कि तलाक के बाद भी पत्नी और बेटे को लाइसेंसी पिस्टल दिखाकर धमकाते रहते हैं, कभी भी किसी अप्रिय घटना को अंजाम दे सकते हैं। आरोप है कि आरोपी इंस्पेक्टर शराब के नशे में गाली-गलौज और मारपीट करता है, और बात-बात पर पिस्टल तान देता है।
डीएम ने किया ऑन-द-स्पॉट एक्शन
शिकायत मिलते ही जिलाधिकारी ने अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए तत्काल शस्त्र लाइसेंस निलंबित कर दिया। डीएम ने साफ शब्दों में कहा –
“लाइसेंस का मतलब मनमर्जी की छूट नहीं है। जिसे जिम्मेदारी का एहसास नहीं, उसे कानून सिखाएगा।”
मुकदमा दर्ज करने के निर्देश
डीएम के निर्देश पर देहरादून एसएसपी को आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए कहा गया है, और उसका शस्त्र थाने में जमा करवाने के आदेश दिए गए हैं। इससे पीड़ित मां-बेटे को भी राहत मिली है, जो लंबे समय से इस मानसिक प्रताड़ना से गुजर रहे थे।
प्रशासन का सख्त संदेश
यह कार्रवाई उन सभी लोगों के लिए एक स्पष्ट संदेश है जो पिस्टल लाइसेंस को सत्ता का प्रतीक समझते हैं। जिला प्रशासन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि शस्त्र लाइसेंस का दुरुपयोग करने वालों पर अब कोई रियायत नहीं दी जाएगी।
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