गैरसैंण। उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र आज गैरसैंण में शुरू हो गया है। यह चार दिवसीय सत्र 19 से 22 अगस्त तक प्रस्तावित है। इसी बीच गैरसैंण राजधानी आंदोलन से जुड़े आंदोलनकारियों ने बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा है कि वे पहले तीन दिन तक पूरी तरह शांतिपूर्ण ढंग से अपना आंदोलन जारी रखेंगे, लेकिन यदि चौथे दिन तक गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित नहीं किया गया तो सभी 70 विधायकों के पुतलों का सामूहिक दहन किया जाएगा।
अमर शहीद वीर चंद्र सिंह गढ़वाली जी की प्रतिमा के सामने से आंदोलनकारियों ने विधानसभा और विधायकों को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि यह लड़ाई अब उत्तराखंड की अस्मिता की जंग बन चुकी है। जनता अब और बहाने या टालमटोल स्वीकार नहीं करेगी।
धरना स्थल से किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष युवा आंदोलनकारी किसान पुत्र कार्तिक उपाध्याय ने कहा,
“हमने तीन दिन तक शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन का निर्णय लिया है ताकि सरकार और विधायक जनता की मांग को सुन सकें। लेकिन चौथे दिन तक अगर गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित नहीं किया गया, तो विधायक जनआक्रोश झेलने के लिए तैयार रहें। 25 वर्षों से जनता केवल आश्वासन सुन रही है, अब निर्णायक फैसला चाहिए।”
पूर्व सैनिक और आंदोलनकारी भुवन कठायत ने कहा,
“सीमा पर रहकर देश की रक्षा करना हमारा कर्तव्य था और आज अपने पहाड़ों की अस्मिता की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है। हमने तीन दिन तक शांतिपूर्वक बैठने का निर्णय इसलिए लिया है ताकि सरकार गंभीरता से सोचे, लेकिन चौथे दिन यदि निर्णय न हुआ तो विधायकों के खिलाफ क्रोध उग्र रूप लेगा।”
सैनिकपुत्री और आंदोलनकारी कुसुम लता बौड़ाई ने कहा,
“गैरसैंण राजधानी बनने से ही पलायन रुकेगा, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और पहाड़ की बेटियां सुरक्षित महसूस करेंगी। हम किसी कीमत पर अब पीछे नहीं हटेंगे। विधायक यदि जनता की आवाज़ नहीं सुनेंगे, तो उन्हें हमेशा के लिए पहाड़ विरोधी माना जाएगा।”
धरना स्थल से आंदोलनकारियों ने साफ कहा कि यह चार दिन का सत्र जनता की परीक्षा नहीं बल्कि विधायकों की परीक्षा है। यदि गैरसैंण को राजधानी घोषित कर दिया गया तो इतिहास विधायक जनता के नायक कहे जाएंगे, अन्यथा उनके पुतलों का दहन कर उन्हें हमेशा के लिए गद्दार की सूची में डाल दिया जाएगा।
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