हाईकोर्ट ने उठाए गंभीर सवाल
मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि मतदान प्रक्रिया में कई गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं। कोर्ट ने पूछा –
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डीएम और एसएसपी की कार्यशैली पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
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मतदान केंद्र के 500 मीटर दायरे में नियम लागू होने चाहिए थे, फिर केवल 100 मीटर का नियम कहां से आया?
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अनुमति लिए बिना बाहर गए पांच सदस्यों को नोटिस क्यों नहीं दिया गया?
ऑब्जर्वर की रिपोर्ट पर भी सवाल
चुनाव आयोग की ओर से अधिवक्ता संजय भट्ट ने बताया कि ऑब्जर्वर ने दो रिपोर्ट दी हैं, जिनमें किसी गड़बड़ी का जिक्र नहीं है। लेकिन कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए कहा कि –
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ऑब्जर्वर ने 14 अगस्त की शाम को रिपोर्ट क्यों नहीं दी?
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15 अगस्त सुबह 5 बजे रिपोर्ट दाखिल करने का क्या औचित्य था?
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अपहरण के आरोपों पर एफआईआर दर्ज क्यों नहीं हुई?
याचिकाकर्ता और अधिवक्ताओं की दलील
वरिष्ठ अधिवक्ता देवेंद्र पाटनी ने कहा कि नियम स्पष्ट रूप से कहते हैं कि मतदान केंद्र से एक किलोमीटर तक सख्ती लागू होनी चाहिए। जबकि चुनाव के दिन अपहरण और विवाद के मामले सामने आए, जिन पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
याचिकाकर्ता पुष्पा नेगी ने मांग की थी कि चुनाव को रद्द कर पुनः मतदान कराया जाए।
कोर्ट की टिप्पणी
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा –
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“चुनाव आयोग शक्तिहीन क्यों दिख रहा है?”
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“एसएसपी और डीएम ने अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफलता दिखाई है।”
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“मतदान के दिन दर्ज अपराधों पर रिपोर्ट कहां है?”
अगली सुनवाई और आयोग को निर्देश
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि सोमवार को चुनाव आयोग शपथपत्र के माध्यम से अपना पक्ष रखे और बताए कि मतदान प्रक्रिया के दौरान हुई अनियमितताओं और पांच अनुपस्थित सदस्यों के खिलाफ क्या कार्यवाही की गई।
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