लगातार तीन महीने से जारी बारिश और भूस्खलन ने सीमांत क्षेत्र मुनस्यारी तक पहुंचने वाले मार्ग को बार-बार बाधित किया है। ऐसे हालात में भी राजस्थान के पांच छात्रों ने हिम्मत नहीं हारी और उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी (UOU) की बीएड परीक्षा देने के लिए अनोखा कदम उठाया। सड़कें बंद होने पर इन छात्रों ने हल्द्वानी से मुनस्यारी तक हेलीकॉप्टर की मदद ली और तय समय पर परीक्षा केंद्र पहुंचकर अपनी परीक्षा दी।
40 हजार से ज्यादा खर्च कर बचाया साल
बालोतरा (राजस्थान) के ओमाराम चौधरी, मगाराम चौधरी, प्रकाश चौधरी, नरपत सारण और लकी सियोल बीएड की अंतिम सेमेस्टर परीक्षा में शामिल होने मुनस्यारी आए थे। सभी पहले से ही थर्ड ग्रेड टीचर के पद पर कार्यरत हैं। परीक्षा न छूटे, इसके लिए उन्होंने करीब 40 हजार रुपये से अधिक की राशि हेलीकॉप्टर यात्रा पर खर्च कर डाली। उनका कहना था कि पैसा खर्च हुआ लेकिन साल बर्बाद होने से बच गया।
कैसे पहुंच पाए मुनस्यारी?
छात्र 1 सितंबर को बालोतरा से जोधपुर होते हुए ट्रेन से उत्तराखंड पहुंचे और 2 सितंबर को हल्द्वानी पहुंच गए। लेकिन वहां उन्हें पता चला कि भूस्खलन के कारण मुनस्यारी की सड़कें पूरी तरह बंद हैं। इसके बाद उन्होंने हल्द्वानी-मुनस्यारी हेली सेवा संचालित करने वाली कंपनी से संपर्क किया और अपनी समस्या बताई। कंपनी की मदद से चार सितंबर को उन्हें हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध कराई गई।
40 मिनट में पूरी की 300 किमी की दूरी
आमतौर पर हल्द्वानी से मुनस्यारी की दूरी सड़क मार्ग से लगभग 300 किलोमीटर है, जिसे तय करने में 10–12 घंटे लगते हैं। लेकिन हेलीकॉप्टर से इन छात्रों ने यह दूरी मात्र 40 मिनट में पूरी कर ली। एक छात्र का आने-जाने का किराया लगभग 10,400 रुपये पड़ा।
परीक्षा केंद्र और प्रशासन का सहयोग
मुनस्यारी आरएस टोलिया पीजी कॉलेज को उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी ने परीक्षा केंद्र बनाया था। परीक्षा प्रभारी सोमेश कुमार ने बताया कि छात्र खुद परीक्षा केंद्र का चयन करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इतनी बाधाओं के बावजूद छात्रों का परीक्षा में शामिल होना वास्तव में प्रेरणादायी है।
छात्रों ने जताया आभार
छात्रों ने हेलीकॉप्टर सेवा उपलब्ध कराने के लिए कंपनी के सीईओ रोहित माथुर और पायलट प्रताप सिंह का धन्यवाद दिया। उनका कहना है कि यह यात्रा भले ही महंगी रही हो, लेकिन परीक्षा देकर लौटना उनके लिए सबसे बड़ी सफलता है।
निष्कर्ष
राजस्थान के इन छात्रों ने दिखा दिया कि अगर इरादा पक्का हो तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती। बारिश और भूस्खलन से जूझते हुए भी उन्होंने समय पर परीक्षा देकर न सिर्फ साल बचाया बल्कि अन्य विद्यार्थियों के लिए मिसाल भी पेश की।
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