देहरादून। उत्तराखंड ने डिजिटल पारदर्शिता और ई-गवर्नेंस की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। राज्य के भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा शुरू किया गया ऑनलाइन लेबर सेस मैनेजमेंट सिस्टम अब पूरे देश के लिए एक आदर्श मॉडल बनता जा रहा है।
ऑफलाइन से ऑनलाइन की ओर बड़ा बदलाव
अब तक देशभर में लेबर सेस का आकलन और जमा करने की प्रक्रिया पूरी तरह ऑफलाइन थी। इस वजह से:
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अनियमितताओं के मामले सामने आते थे
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विभागीय लापरवाही बढ़ रही थी
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समीक्षा और मॉनिटरिंग की कमी रहती थी
उत्तराखंड ने इस चुनौती को अवसर में बदलते हुए एक स्मार्ट डिजिटल समाधान प्रस्तुत किया।
बिना बजट के तैयार हुआ अभिनव डिजिटल प्लेटफॉर्म
सबसे खास बात यह रही कि इस डिजिटल सिस्टम को तैयार करने में किसी भी सरकारी बजट का उपयोग नहीं हुआ। एक निजी बैंक ने अपने CSR कार्यक्रम के अंतर्गत तकनीकी सहयोग प्रदान किया और प्लेटफॉर्म को विकसित किया।
एक साल में मिला बड़ा फायदा
इस प्रणाली के लागू होने के बाद महज एक साल में ही इसके प्रभाव साफ नजर आए:
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60% राजस्व वृद्धि दर्ज की गई
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10,000 से अधिक प्रतिष्ठानों का पंजीकरण हुआ
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सेस प्रबंधन में पारदर्शिता, दक्षता और जवाबदेही सुनिश्चित हुई
केंद्र सरकार ने की सराहना
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री, सचिव और संयुक्त सचिव ने उत्तराखंड की इस पहल की जमकर प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली अन्य राज्यों के लिए भी लागू करने योग्य मॉडल है।
राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा
मंगलवार को केंद्र सरकार में हुई बैठक में संयुक्त सचिव अशुतोष की अध्यक्षता में इस मॉडल पर विस्तार से चर्चा हुई। इस बैठक में उत्तराखंड से श्रमायुक्त पी.सी. दुम्का, परियोजना प्रमुख दुर्गा चमोली और बैंक के अधिकारी भी शामिल हुए।
उत्तराखंड को मिली राष्ट्रीय पहचान
इस उपलब्धि ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि उत्तराखंड डिजिटल गवर्नेंस और ट्रांसपेरेंसी के क्षेत्र में देश का लीडर बन चुका है।
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