उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) एक बार फिर विवादों में आ गया है। आयोग ने 5 अक्टूबर को होने वाली स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा को अचानक स्थगित कर दिया। यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब हाल ही में हुए पेपर लीक घोटाले ने पूरे राज्य में आक्रोश और अविश्वास की लहर पैदा कर दी है।
क्यों टाली गई UKSSSC भर्ती परीक्षा?
आयोग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि यह कदम अभ्यर्थियों के सुझावों और तैयारियों को मज़बूत करने के लिए उठाया गया है। लेकिन उम्मीदवारों का मानना है कि असली वजह पेपर लीक प्रकरण और जांच एजेंसियों का दबाव है।
पेपर लीक से हिल गई आयोग की साख
पिछले कुछ वर्षों में बार-बार हुए पेपर लीक मामले ने आयोग की विश्वसनीयता को गहरी चोट पहुंचाई है। इस बार मामला सीबीआई जांच तक पहुंच चुका है। ऐसे में आयोग पर पारदर्शिता और सुरक्षा की गारंटी देने का दबाव और बढ़ गया है।
कौन-कौन सी परीक्षाएं स्थगित हुईं?
5 अक्टूबर को होने वाली जिन परीक्षाओं को टाला गया है, उनमें शामिल हैं:
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सहकारी निरीक्षक वर्ग-2 भर्ती परीक्षा
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सहायक विकास अधिकारी (सहकारिता) परीक्षा
हालांकि, अब 12 अक्टूबर को प्रस्तावित अन्य परीक्षाओं को लेकर भी संशय गहराता जा रहा है।
अभ्यर्थियों का गुस्सा सोशल मीडिया पर फूटा
परीक्षा स्थगन की घोषणा के बाद सोशल मीडिया पर छात्रों का गुस्सा साफ देखने को मिला।
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एक उम्मीदवार ने लिखा – “हमारी ज़िंदगी दांव पर है और आयोग हमें प्रयोगशाला का चूहा बना रहा है।”
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दूसरे ने तंज कसा – “अब UKSSSC नहीं, उत्तराखंड पेपर लीक सेवा चयन आयोग बन चुका है।”
ट्विटर (X) और फेसबुक पर #UKSSSC_बंद_करो और #PaperLeakCommission जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
बड़ा सवाल: क्या लौट पाएगा विश्वास?
सरकार ने पेपर लीक रोकने के लिए कड़े कानून और स्वतंत्र जांच एजेंसियों को कार्रवाई का अधिकार देने का दावा किया था। लेकिन बार-बार की अनिश्चितता से अभ्यर्थियों का विश्वास टूट रहा है।
जब तक परीक्षा पारदर्शी और विवाद-मुक्त ढंग से नहीं होगी, तब तक न छात्रों का भरोसा लौटेगा और न ही आयोग की साख बच पाएगी।
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