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न्यायपालिका के लिए गंभीर सवाल: आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी की सुनवाई से 16वें जज ने भी खुद को किया अलग 

October 11, 2025
in उत्तराखंड
न्यायपालिका के लिए गंभीर सवाल: आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी की सुनवाई से 16वें जज ने भी खुद को किया अलग 
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देहरादून। देश की न्याय व्यवस्था पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करने वाले आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी से जुड़े मामलों की सुनवाई से अब तक कुल 16 न्यायाधीश खुद को अलग कर चुके हैं। ताजा मामला उत्तराखंड हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस आलोक वर्मा का है, जिन्होंने संजीव चतुर्वेदी की अवमानना याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है।

यह स्थिति न सिर्फ अभूतपूर्व है बल्कि न्यायपालिका की पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े करती है।


अवमानना याचिका से जस्टिस आलोक वर्मा ने खुद को अलग किया

जानकारी के अनुसार, आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी की ओर से दायर अवमानना याचिका में केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) के सदस्यों और रजिस्ट्री पर नैनीताल हाईकोर्ट के स्थगन आदेश की अवहेलना के आरोप लगाए गए थे। इस मामले में जस्टिस आलोक वर्मा 16वें ऐसे न्यायाधीश हैं, जिन्होंने सुनवाई से स्वयं को अलग कर लिया।

इससे पहले 20 सितंबर को इसी प्रकरण में जस्टिस रवींद्र मैठाणी ने भी खुद को अलग कर लिया था। उन्होंने आदेश में सिर्फ इतना लिखा था कि “मामले को किसी अन्य पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जाए, जिसका मैं सदस्य न हूं।” कारण दर्ज न करने से यह घटनाक्रम और भी असामान्य बन गया।


एक के बाद एक न्यायाधीशों का अलग होना बना चर्चा का विषय

संजीव चतुर्वेदी के मामलों से सुनवाई से अलग होने वाले न्यायाधीशों की संख्या तेजी से बढ़ी है।

  • मई 2023 में जस्टिस राकेश थपलियाल

  • फरवरी 2024 में जस्टिस मनोज तिवारी

  • सितंबर 2025 में जस्टिस रवींद्र मैठाणी

  • अक्टूबर 2025 में जस्टिस आलोक वर्मा

इन सभी ने सुनवाई से स्वयं को अलग किया, और इनमें से किसी ने भी आदेश में अलग होने का कारण दर्ज नहीं किया।


CAT और निचली अदालतों में भी कई जजों ने की दूरी

सिर्फ हाईकोर्ट ही नहीं, बल्कि केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) और निचली अदालतों में भी यही सिलसिला देखा गया।

  • फरवरी 2025: CAT के दो जज — हरविंदर ओबेरॉय और बी. आनंद — बिना कारण बताए अलग हो गए।

  • अप्रैल 2025: एसीजेएम नेहा कुशवाहा ने पारिवारिक कारणों का हवाला देते हुए खुद को अलग कर लिया।

  • मार्च 2019: CAT दिल्ली के चेयरमैन जस्टिस एल. नरसिम्हन रेड्डी ने भी सुनवाई से खुद को अलग किया था।


सुप्रीम कोर्ट और अन्य अदालतों में भी उदाहरण मौजूद

संजीव चतुर्वेदी से जुड़े मामलों में सुप्रीम कोर्ट के जज भी खुद को अलग कर चुके हैं।

  • 2013: जस्टिस रंजन गोगोई ने खुद को अलग किया।

  • 2016: जस्टिस यूयू ललित ने सुनवाई से अलग होने का निर्णय लिया।

इसके अलावा शिमला, दिल्ली और अन्य जगहों पर भी कई जजों ने सुनवाई से दूरी बनाई है।


कौन हैं संजीव चतुर्वेदी?

संजीव चतुर्वेदी उत्तराखंड कैडर के 2002 बैच के आईएफएस अधिकारी हैं। वे देश के चर्चित व्हिसलब्लोअर में गिने जाते हैं। हरियाणा में तैनाती के दौरान उन्होंने कई प्रभावशाली नेताओं और नौकरशाहों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद से वे कई विवादित लेकिन चर्चित मामलों के केंद्र में रहे हैं।

उनके खिलाफ हुई कार्रवाई और तबादलों को लेकर कई बार अदालतों में सुनवाई हुई है।


न्यायपालिका के लिए बड़ा सवाल

लगातार जजों के खुद को सुनवाई से अलग करने के मामलों ने न्याय व्यवस्था की पारदर्शिता और भरोसे को लेकर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। कानूनी विशेषज्ञ मानते हैं कि इतने बड़े पैमाने पर रिक्यूजल (Recusal) अपने आप में एक असाधारण स्थिति है।

इस पूरे मामले पर देश की निगाहें अब न्यायपालिका की अगली कार्यवाही पर टिकी हैं — क्योंकि इन सवालों के जवाब सिर्फ न्यायपालिका ही दे सकती है।

Tags: CATContempt PetitionIFS officerjudicial recusalJudiciary News India.Justice Alok VermaSanjiv ChaturvediSupreme CourtUttarakhand High Courtwhistleblower
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