नैनीताल।( रिपोर्ट – कमल जगाती)
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेशभर के सरकारी अस्पतालों में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर दायर जनहित याचिका पर कड़ा रुख अपनाया है।
न्यायालय ने डायरेक्टर जनरल हेल्थ (DG Health) और स्वास्थ्य सचिव को व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट में उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 17 नवंबर 2025 को होगी।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने उठाई गंभीर खामियों की ओर चिंता
मामले में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (State Legal Services Authority) ने जनहित याचिका दायर कर बताया कि प्रदेश के अधिकांश सरकारी अस्पतालों में मरीजों को बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं।
याचिका में यह कहा गया—
- कई अस्पतालों में आवश्यक चिकित्सा उपकरण (मशीनें) खराब अवस्था में पड़े हैं।
- विशेषज्ञ डॉक्टरों और स्टाफ की भारी कमी है, जिससे मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता।
- मरीजों को मजबूरन हायर सेंटर रेफर किया जाता है, जहां तक पहुंचना कई बार मुश्किल होता है।
- कई अस्पताल इंडियन हेल्थ स्टैंडर्ड (IHS) के तय मानकों पर खरे नहीं उतरते।
बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से आग्रह किया कि राज्य सरकार को निर्देशित किया जाए कि—
- सभी सरकारी अस्पतालों में बुनियादी उपचार सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं,
- आवश्यक स्टाफ की नियुक्ति की जाए,
- खराब पड़े उपकरणों की मरम्मत या बदलने की व्यवस्था की जाए,
- दूरदराज से आने वाले मरीजों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित हों।
हाईकोर्ट का सख्त रुख
न्यायालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कहा कि सरकारी अस्पतालों में इलाज की बदहाल स्थिति चिंताजनक है। इस पर तत्काल सुधारात्मक कदम आवश्यक हैं। कोर्ट ने DG हेल्थ और स्वास्थ्य सचिव की उपस्थिति अनिवार्य करते हुए अगली सुनवाई 17 नवंबर को निर्धारित की है।











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