सादगी से शुरू हुआ सफर, ऊर्जा क्षेत्र की ऊँचाइयों तक पहुँचे
राजस्थान के एक सामान्य परिवार में जन्मे श्री विश्नोई ने अपनी प्रतिभा और समर्पण के दम पर ऊर्जा क्षेत्र में अपना अलग मुकाम बनाया।
1987 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने जलविद्युत परियोजनाओं के डिजाइन, इंजीनियरिंग और निर्माण में 34 वर्षों से अधिक का समृद्ध अनुभव हासिल किया।
अगस्त 2021 में वे THDCIL के CMD नियुक्त हुए, जिसके बाद कंपनी ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कई उल्लेखनीय उपलब्धियाँ दर्ज कीं।
THDC को नई ऊँचाइयों पर ले जाने वाला विजनरी नेतृत्व
THDC की 2024–25 वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी की स्थापित क्षमता 4351 मेगावाट तक पहुँच गई—जो चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी एक बड़ी उपलब्धि मानी गई।
उनके नेतृत्व में—
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11 मेगावाट फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट, खुरजा (सितंबर 2025) की सफल शुरुआत
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स्वच्छ ऊर्जा पर तेजी से आगे बढ़ने की रणनीति
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भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अप्रैल 2025 में दर्ज हुई ऐतिहासिक उपलब्धि
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पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय समुदायों के विकास के लिए कई पहल
ने THDC को भारत ही नहीं, वैश्विक ऊर्जा मानचित्र पर एक मजबूत पहचान दिलाई।
जल शक्ति मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा—
“श्री विश्नोई जी का नेतृत्व अतुलनीय था। उन्होंने परियोजनाओं की समयबद्धता के साथ पर्यावरण और समाज, दोनों को प्राथमिकता दी।”
‘हाइड्रोपावर के शेर’: देश भर से उमड़ा शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त करते हुए कहा—
“श्री आर.के. विश्नोई का जाना ऊर्जा क्षेत्र के लिए अपूरणीय क्षति है। उनके योगदान को सदैव याद रखा जाएगा।”
पूर्व जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने उन्हें “हाइड्रोपावर का शेर” बताया।
THDC और अन्य संगठनों—जिनसे वे जुड़े थे—में आज शोक सभाएँ आयोजित की गईं। कर्मचारियों ने एक मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
एक प्रेरणादायी विरासत: स्वच्छ ऊर्जा के सच्चे सेनानी
अपनी दूरदर्शिता और नेतृत्व क्षमता के कारण श्री विश्नोई जी को भारत के स्वच्छ ऊर्जा अभियान का महत्वपूर्ण स्तंभ माना जाता है।
उन्होंने कहा था—
“THDC भारत के स्वच्छ ऊर्जा भविष्य को गति देने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा लक्ष्य बिजली उत्पादन के साथ सतत विकास सुनिश्चित करना है।”
युवा इंजीनियरों और ऊर्जा क्षेत्र से जुड़ी महिला प्रोफेशनल्स को प्रोत्साहित करने के लिए उन्होंने कई कार्यक्रम भी शुरू किए।
अंतिम विदाई
श्री विश्नोई का पार्थिव शरीर कल नई दिल्ली में अंतिम दर्शन के लिए रखा जाएगा, जिसके बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
ऊर्जा क्षेत्र के लिए उनका जाना एक गहरी रिक्तता छोड़ गया है, लेकिन उनका विजन और योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बने रहेंगे।












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