देहरादून: उत्तरकाशी के पुरोला विधानसभा के हनोल में महासू देवता मंदिर के गर्भ गृह में जन्मदिन का केक काटे जाने पर स्थानीय निवासियों में भारी आक्रोश पैदा हो गया है। सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर आवाज उठाई जा रही है।
घटना दो दिन पुरानी बताई जा रही है। बताया गया कि मंदिर के अंदर एक व्यक्ति के जन्मदिन का केक काटा गया और पुजारी तक ने कुछ रोका भी नहीं।
हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि जिस गर्भ गृह में ये केक काटा जा रहा वहा पर जाना वर्जित है उसके बावजूद भी गर्भ गृह पर केक काट कर जन्म दिन मनाया जा रहा है और पंडित जी कुछ नही बोल रहे है।
आपको बता दे कि जहां पर केक काटा जा रहा है वह स्थान हनोल स्थित महासू देवता मंदिर के अंदर चांदी की पौड का है जहां पश्चिम सभ्यता के अनुसार केक काटकर जन्मदिन मनाया जा रहा है। यह वही स्थान है जहां से हजारों, लाखों लोग देवता से अपनी मन्नतें मांगने के लिए माथा टेकते हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता भारत चौहान कहते हैं
दुर्भाग्य : हनोल महासू देवता मंदिर के गर्भ गृह में काटा जा रहा है जन्मदिन का केकl
यह चित्र वहां का है जहां चित्र लेना आम लोगों के लिए सख्त मना है। यह स्थान हनोल स्थित महासू देवता मंदिर के अंदर चांदी की पौड का है जहां पश्चिम सभ्यता के अनुसार केक काटकर जन्मदिन मनाया जा रहा है। यह वही स्थान है जहां से हजारों, लाखों लोग देवता से अपनी मन्नतें मांगने के लिए माथा टेकते हैं।
दुर्भाग्य का विषय है कि जो लोग यहां सदियों से पैतृक निवास करते हैं ऐसे लोगों को हम जातिवाद के नाम पर मंदिर में प्रवेश के लिए तरह-तरह के अवरोध पैदा करते हैं और जो लोग बाहर से आते हैं वह जन्मदिन का केक काट कर चले जाते हैं और पुजारी जी पश्चिमी सभ्यता की इस परंपरा को भारतीय रीति के अनुसार आशीर्वाद देकर विदा करते हैं।
यदि इसे तुरंत रोका नहीं गया तो भविष्य में जन्मदिन के साथ साथ क्या-क्या नृत्य और कृत्य होंगे उसकी कल्पना करना सहज है । हनोल स्थित महासू देवता मंदिर करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है इसके साथ किसी भी प्रकार का खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं होगा ।
सोशल मीडिया पर लोग लिख रहे हैं केक काटना वो भी मंदिर के गर्भ ग्रह में दुर्भाग्य का विषय है कि जो लोग यहां सदियों से पैतृक निवास करते हैं ऐसे लोगों को हम जातिवाद के नाम पर मंदिर में प्रवेश के लिए तरह-तरह के अवरोध पैदा करते हैं और जो लोग बाहर से आते हैं वह जन्मदिन का केक काट कर चले जाते हैं और पुजारी जी पश्चिमी सभ्यता की इस परंपरा को भारतीय रीति के अनुसार आशीर्वाद देकर विदा करते हैं।
यदि इसे तुरंत रोका नहीं गया तो भविष्य में जन्मदिन के साथ साथ क्या-क्या नृत्य और कृत्य होंगे उसकी कल्पना करना सहज है । हनोल स्थित महासू देवता मंदिर करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है इसके साथ किसी भी प्रकार का खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं होगा ।