उत्तराखंड क्रांति दल देहरादून के नकरौंदा में बन रहे एसटीपी प्लांट को शिफ्ट कराने की मांग की है। पिछले 5 महीने से प्लांट को अन्यत्र अंतरित करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे स्थानीय ग्रामीणों के साथ उत्तराखंड क्रांति दल ने आज एक प्रेस वार्ता के माध्यम से सरकार को चेतावनी दी कि एसटीपी को हर हाल में शिफ्ट कराया जाएगा। यूकेडी ने चेतावनी दी कि आंदोलन का दमन किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
यूकेडी मीडिया प्रभारी शिवप्रसाद सेमवाल ने कहा है कि अंदोलन को आज पचास दिन हो गये हैं परन्तु सरकार की ओर से अभी तक किसी भी अधिकारी ने अंदोलनकारियों से वार्ता नही की, जिससे स्थानीय लोगों मे सरकार के खिलाफ भारी रोष है। सेमवाल ने कहा सरकार जनता के मुद्दों पर बात ही नही करना चाहती और जबर्दस्ती सीवरेज प्लांट को जनता के बीच थोपना चाहती है। जिसे जनता किसी सूरत मे बर्दाश्त नही करेगी।
एसटीपी संघर्ष समिति के आंदोलनकारी रोहित पांडे ने कहा है किसी सूरत मे नकरोदा में सीवरेज प्लान्ट नही बनने देगे।
आंदोलनकारी गीता नेगी ने कहा कि यूकेडी अंदोलन कर रहे लोगो के साथ खड़ी है अब यह लडाई तब तक जारी रहेगी जब तक सरकार इस प्लांट को अन्यत्र शिफ्ट नही करती। इसके लिए सरकार के खिलाफ जन आंदोलन छेड़ दिया जायेगा।
यूकेडी महिला मोर्चा की अध्यक्ष सुलोचना और उपाध्यक्ष उत्तराखंड बहुगुणा ने ऐतराज जाहिर किया कि बगैर परमिशन के वन भूमि में जेसीबी मशीन कैसे घुसा दी गई है जबकि आंदोलनकारियों ने हाईकोर्ट में पीआईएल लगाई हुई है जिसकी सुनवाई 21 फरवरी को होनी है लेकिन कंपनी के अधिकारी और ठेकेदार गुंडागर्दी के बल पर आंदोलन को कुचलने की तैयारी कर रहे हैं जिसे किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
संघर्ष समिति की नेत्री राज किशोरी बिष्ट और सीता नेगी ने कहा कि जनता आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है परंतु अगर इसे किसी ने धमकाने की कोशिश की या कुचलने की कोशिश की इसके परिणाम गंभीर होंगे जिसका खामियाजा सरकार और सरकार के अधिकारी को भुगतना पड़ेगा।
सीवरेज प्लांट की आंदोलनकारी प्रमिला बर्थवाल ने आक्रोश जताया कि दो बार जिला अधिकारी को ज्ञापन देकर वस्तुस्थिति से अवगत करा दिया गया है परंतु सरकार की ओर से मात्र आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। अगर सीवरेज प्लांट यहां पर नहीं यहां से नहीं हटाया गया तो आंदोलन उग्र होगा और आंदोलन सड़कों पर होगा जिसकी जवाब देही सरकार और प्रशासन की होगी।
आंदोलनकारी देवेंद्र नेगी ने कहा कि सीवरेज प्लांट का मामला हाईकोर्ट मे है ,जिसमे 21नवमबर की सुनवाई की तारीख लगी थी, जिसमे कम्पनी कोर्ट मे कोई जबाब दाखिल नही कर पायी है और जबाब देने हेतु चार सप्ताह का समय कम्पनी ने कोर्ट से मांगा था जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर अगली सुनवाई की तिथि तय कर दी है। अंदोलन कारी अपनी मांगों को लेकर जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक अपनी आपत्ति दर्ज करा चुके हैं।
आंदोलनकारी समिति के सदस्य शंभू रावत ने हैरत जताई कि जिन खसरा नम्बर पर प्लांट की स्वीकृति हुई है, वह नंबर 612 क ग्राम सभा और 19 a कम्पार्ट स्वीकृत हुए हैं लेकिन कम्पनी 611 दुल्हनी नदी का नम्बर है और 612 उस जगह नही है जो कि नदी का ही भाग है और जिस पर नदी बह रही है और शेष भाग दरिया बुर्द है।
आंदोलनकारियों का कहना है क आज तक कम्पनी ने जनता को कोई स्वीकृति नही दिखायी और ना ही कोई दस्तावेज दिखाये आंदोलनकारियों की आपत्ति 611नदी के और जलमग्न भूमि पर है। जिसमे हाईकोर्ट के आदेश हैं कि नदी की भूमि और जलमग्न भूमि पर किसी प्रकार का निर्माण नही हो सकता तो फिर कंपनी अपने फायदे को देखते हुए गलत नम्बरों पर कब्जा प्रशासन के दबाव मे किया जा रहा है।
मुख्य प्रवक्ता अनुपम खत्री ने आश्चर्य जताया कि जब 27नवंबर को अंदोलनकारियों ने मशीनों को रोक दिया तो कल दिनांक 28 .11.2022 को उप जिलाधिकारी सदर ने एक गोल मोल जबाब देकर पोकलैंड और जेसीबी की परमिशन दे दी है, जिससे आंदोलनकारी महिलाये भड़क गयी हैं और प्लांट पर पुलिस की मौजदूगी मे जोरदार प्रदर्शन भड़क चुका है।
बगैर स्थल निरीक्षण करे आखिर नदी पर जेसीबी और पोकलैंड चलाने का बगैर खसरा नंबर डाले परमिशन दी है।
इससे लगता है कि सरकारी मशीनरी खुद कोर्ट के निर्देशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
यूकेडी नेता शिवप्रसाद सेमवाल ने कहा कि जिलाधिकारी इसका गंभीरता से संज्ञान लेना चाहिए।
प्रेस कांफ्रेंस में यूकेडी नेता शिवप्रसाद सेमवाल , अनुपम खत्री, रोहित पांडेय, शंभू सेमवाल, देवेंद्र नेगी, महेशचंद्र खंडूड़ी, गीता नेगी, सीता नेगी, प्रमिला बर्थवाल, यशोदा पंवार ,चंपा कठैत, सुलोचना ईष्टवाल, उत्तरा पंत, गौरव रावत, सरोज रावत, मंजू रावत ,राजेंद्र गोसाई आदि प्रमुख रूप से शामिल थे।