बताया गया कि वर्ष 2009 में बरहैनी बाजपुर निवासी गिंदर पाल का चयन हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयागराज के मध्यमा और उत्तमा प्रमाण पत्र के आधार पर हुआ था। वर्ष 2022 में प्रमाण पत्रों की जांच के दौरान वे फर्जी पाए गए, जिसके बाद शिक्षिका को निलंबित कर दिया गया। हालांकि, कोर्ट से उन्हें राहत मिल गई और निलंबन आदेश वापस ले लिया गया।
वर्ष 2023 में दोबारा जांच हुई और शिक्षिका को फिर निलंबित कर दिया गया, लेकिन इस बार भी कोर्ट ने उनका निलंबन रद्द कर दिया। इसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने एक टीम गठित कर शिक्षिका के शैक्षिक दस्तावेजों की पुनः जांच कराई। जांच में उनके वर्ष 1984 के मध्यमा और वर्ष 1986 के उत्तमा प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए।
इसके आधार पर जिला शिक्षा अधिकारी ने 27 फरवरी को गिंदर पाल को शिक्षा सेवा से बर्खास्त कर दिया। उपखंड शिक्षा अधिकारी सतेंद्र कुमार की तहरीर पर शिक्षिका के खिलाफ कूटरचित दस्तावेजों के सहारे नौकरी पाने का मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस मामले की जांच में जुटी है।