चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड द्वरा हाल ही विभिन्न सरकारी मेडिकल कॉलेजों के लिए शोसल वर्करों की भर्ती कराई गई थी जिसमे 38 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया था और एग्जाम के बाद 32 लोगों का चयन हुआ और इनको नियुक्ति भी दे दी गई है
परंतु यह भर्ती चयनित अभ्यर्थियों के अनुभव प्रमाण पत्रों को लेकर अब फर्जीवाड़े के घेरे में आ गयी है ।आरोप लग रहे हैं कि नियुक्त किये गए लोगों में से अधिकांश फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र लगाकर सरकारी नोकरी पा गए है जिनके कुछ प्रमाण भी सामने आए है, सूचना के अधिकार के तहत । परन्तु कुछ मेडिकल कॉलेजों के लोक सूचना अधिकारी इसमें सूचना भी उपलब्ध नही कर रहे , चिकित्सा सेवा चयन बोर्ड से भी अनुभव प्रमाण पत्र और परीक्षा कराने वाली संस्था का नाम सूचना में मांगा गया था परन्तु बोर्ड ने गोपनीयता का हवाला देकर सूचना देने से इनकार कर दिया।
हल्द्वानी और अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज ने स्पष्ट और पूर्ण सूचना उपलब्ध कराई है जबकि अन्य ने नही, ऐसे में सवाल ये है कि क्या अन्य कॉलेज जानबूझकर सूचना नही दे रहे है या फिर जिन कॉलेजों की सूचना दी है वो गलत, ऐसे में अधिकारियों को सूचना के अधिनियम की जानकारी होने या न होने पर संदेह उत्पन्न करता है। फर्जी अनुभव से नौकरी पाने वाले लोगों की और विभाग की मिलीभगत की वजह से दून मेडिकल कॉलेज में 6 वर्षों से संविदा के तहत कार्य कर रहे 3 सोशल वर्करों को बाहर कर दिया गया है जो 4 माह से अपनी सेवा बहाली के लिए मंत्री व अधिकारियों के चक्कर काट रहे है।
दून मेडिकल कॉलेज में कुल 11 सोशल वर्करों के पद सृजित है जिनमें 5 संविदा के तहत 2016 से कार्यरत थे और नियमित भर्ती के माध्यम से समस्त 11 पद भर दिए है और संविदा से कार्यरत कर्मचारियों को निकाल दिया गया परंतु इसमे सबको नही निकाला गया सिर्फ 3 लोगों को ही निकाला गया,एक का नियमित भर्ती में चयन हो गया था और एक अन्य उपनल के माध्यम से नियुक्ति पर था जिसको नही निकाला गया कॉलेज प्रशासन की मिलीभगत के कारण उसको मेडिकल कॉलेज के ही अन्य विभाग में अन्य पद पर समायोजित कर दिया गया है और जिस पद और समायोजित किया गया है उस कर्मचारी के पास उस पद की योग्यता भी नही हैं। कायदे से तो उपनल आउटसोर्सिंग से नियुक्त कर्मचारी को पहले निकाला जाना चाहिए था क्योंकि उक्त कर्मचारी की मंत्री और कॉलेज अधिकारियों से अछि पैठ होने के कारण उसको हटाया नही गया ।
कुछ संविदा कर्मचारियों को परीक्षा में सम्मिलित होने का अवसर न देकर समानता के अधिकार का हनन किया गया है। हटाये गए संविदा कर्मचारियों की मांग है कि फर्जी अनुभव प्रमाण पत्रों की जांच हो और जो फर्जी है उनको बाहर कर संविदा कर्मचारियों को नियुक किया जाय ।
आयोग द्वारा पूर्व में कराई गई एक्स-रे तकनीशियन की भर्ती में भी धांधली की आसंका है क्योंकि सिर्फ इसी भर्ती का परीक्षा केंद्र दून मेडिकल कॉलेज में था और उसी कॉलेज में आउटसोर्सिंग से कार्यरत कर्मी ने उसमे टॉप किया था । और इसलिए भी बोर्ड द्वारा कराई गई भर्तियाँ शक के घेरे में कई जानकारी मिल रही है कि इस बोर्ड की भर्तियाँ भी RMS कंपनी द्वारा कराई गई थी।विभाग के लोगो ने ही नाम न बताने की शर्त पर यह जानकारी दी है । इसलिए मांग करते है कि इस बोर्ड द्वारा कराई गई भर्तियों की जांच हो और जो फर्जी है उनको बाहर किया जाए।और हटाये गए संविदा कर्मचारियों को अतिशीघ्र बहाल किया जाय ।