देहरादून। भ्रष्टाचार के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारी राहुल के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी करते हुए न्यायिक रिकॉर्ड तलब किया है। शीर्ष अदालत ने उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने पर लगाई गई रोक पर भी रोक लगा दी।
उत्तराखंड सरकार ने जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान में अवैध निर्माण और पेड़ों की बड़े पैमाने पर कटाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद अधिकारी पर मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी। सुप्रीम कोर्ट इस पूरे मामले की निगरानी कर रहा है।
मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ इस बात से नाराज थी कि शीर्ष अदालत में कार्यवाही की जानकारी होने के बावजूद अधिकारी ने उत्तराखंड हाईकोर्ट का रुख किया और आपराधिक मामले में राज्य सरकार के मुकदमा चलाने के फैसले पर रोक लगवा ली।
पीठ ने अधिकारी को नोटिस जारी करते हुए 11 नवंबर को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है। साथ ही यह भी पूछा गया है कि उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए।
हाईकोर्ट के आदेश पर रोक
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि हाईकोर्ट में चल रही कार्यवाही को वापस लिया जाए और 10 अक्तूबर को दी गई मंजूरी पर रोक लगाने के उसके आदेश पर भी रोक लगाई जाए।
अदालत की नाराजगी
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वे अधिकारी राहुल और हाईकोर्ट के रवैये से बेहद व्यथित हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारी को शीर्ष अदालत की कार्यवाही की पूरी जानकारी थी, फिर भी उन्होंने शिकायतें सुप्रीम कोर्ट में रखने के बजाय हाईकोर्ट जाने का रास्ता चुना।
हाईकोर्ट को स्थगन नहीं देना चाहिए था
पीठ ने स्पष्ट किया कि एक संवैधानिक अदालत होने के नाते हाईकोर्ट के पास व्यापक शक्तियां हैं, लेकिन जब मामला सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में हो तो हाईकोर्ट को इस पर विचार नहीं करना चाहिए था और न ही स्थगन देना चाहिए था।
👉 इस मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को होगी, जिसमें अधिकारी को अदालत के समक्ष पेश होना होगा।











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