ब्यूरो न्यूज़ उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट
हल्द्वानी में बीते तीन दिन पूर्व एक खेत में जमीन को लेकर दो परिवारों का घंटो हाई वोल्टेज ड्रामा चला,हालांकि इसकी खबरें किसी भी अखबार में नहीं दिखी और ना ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जबकि गांव से लेकर पूरे शहर में खेत के और भीड़ के वीडियो वायरल है,यहीं कारण हैं की छोटी सी घटनाओं पर और दो पुलिस कर्मियों के किसी घटना पर पहुंचने की खबरें भी अखबारों में प्रमुखता से जगह पा लेते हैं लेकिन यहां खबर न छपना चर्चा का विषय बना हुआ हैं।
आपको बताते चलें की हल्द्वानी रामपुर रोड में बीते दिनों सुबह सवेरे ही भारी भीड़ इकट्ठी होने लगी मामला दो परिवारों के बीच पूर्वजों की जमीन को लेकर है जो धीरे-धीरे बड़े विवाद में बढ़ गया।
प्रथम पक्ष के अनुसार 1962 से वह लगभग 37 बीघा में वर्तमान तक खेती करते आ रहे हैं इस बार भी वह धान की खेती के लिए पौध लगा चुके हैं और खेत तैयार करने के लिए मेड़ भी बन चुके थे परंतु अचानक उनके पास फोन आता है की खेत में बड़ी-बड़ी मशीन पहुंच गई है और बनाई गई मेड़ों को ध्वस्त कर रहे हैं अब उन्हें खेती नहीं करने दी जा रही,तो वही दूसरे पक्ष मतलब दूसरे परिवार का कहना है कि यह जमीन कागजों के अनुसार उनकी है।
हालांकि यह कहने में कोई गुरेज नहीं की आज का समाज और आज के परिवारों में पुराने लोगों जैसा प्रेम भाव व्यवहार व्यापार अब नहीं रह गया,यहीं कारण हैं की प्रतिदिन पारिवारिक जमीनी विवादों की खबरें सामने आती रहती हैं।
वही प्रथम पक्ष ने बीते दिनों हुई घटना को लेकर कहा है कि दूसरा पक्ष कई परिवार से बाहर की महिलाओं एवं अन्य भीड़ को लेकर उन पर जमीन छोड़ने का दबाव बना रहा हैं,और संख्या बल का दबाव बनाकर जबरदस्ती मशीन से मेड़ तोड़ गए हैं।
पुलिस द्वारा मौके पर पहुंचकर दोनों पक्षों को समझाने का प्रयास किया गया,मामला शांत नहीं हुआ तो पुलिस ने खेत से मशीन हटाई और दोनों पक्षों को हल्द्वानी सीओ सिटी नितिन लोहनी के पास ले गए,उनके द्वारा फिलहाल खेत में यथा स्तिथि बनाने के निर्देश दिए गए है।
हल्द्वानी में जमीन के विवादित मामले लगातार बड़ रहें हैं कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत स्वयं ऐसे मामलों को गंभीरता से सुनते हैं और समय समय पर नागरिकों को जागरूक करने का प्रयास करते हैं,उनका मानना हैं पुरानी जमीनों के ऐसे मामलों को न्यायालय पहुंचने से पहले ही हल करने का प्रयास होना चाहिए।
लेकिन शहर के बीच हुए इस हाई वोल्टेज ड्रामें के बाद अब गांव गांव में इसकी चर्चा थमने का नाम नहीं ले रही,लोगों के इसे लेकर अपने अपने तर्क हैं,लेकिन किसी भी अखबार में इस भीड़ की फोटो और खबर न होना भी उन चर्चाओं के बीच का एक विषय हैं,चर्चा हैं की जमीन खाली कराने वाले पक्ष के लोग मजबूत पैठ रखते हैं तभी मेड तोड़ने के लिए इतनी बड़ी मशीन खेत में आ गई,कई लोग इसकी अनुमति को लेकर भी सवाल कर रहें हैं,इतनी भीड़ होने के बाद और इतना विवाद होने के बाद जेसीबी और पोगलेंड को क्या सीज किया गया यह भी एक सवाल हैं,क्या अनुमति लेकर मशीन के साथ कब्जा छुड़वाया जा रहा था ऐसी चर्चाएं बीते तीन दिनों से आम हो चुकी हैं।
जानकारी यह भी हैं की ये जमीनी विवाद तमाशा बनने के बाद अब शहर के तमाम छोटे बड़े प्रॉपर्टी डीलरो के बीच भी चर्चा का विषय ग्रामीणों की तरह यहीं बना हुआ हैं,क्योंकि उक्त जमीन के दाम अब 100 करोड़ यानी एक अरब से भी कई अधिक आंकी जा रही हैं।
तो वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण परिवेश में अब इस घटना के बाद सामाजिक मानसिक बदलाव भी चिंता का कारण हैं,क्योंकि आज भी ग्रामीण इलाकों में ऐसे कई उदाहरण आसानी से मिल जायेंगे जो पुराने बंटवारे के बीच ही आज खेती कर रहें हैं,सामूहिक परिवारों को भी यह घटना कमजोर करेगी।
खेती कर रहें पक्ष ने बताया वह आज सोमवार को जिले के अधिकारियों एसडीएम डीएम आदि से इस मामले में मुलाकात कर उनसे हस्तक्षेप की मांग करेंगे और निवेदन करेंगे इस विवाद का हल उनके माध्यम से निकाला जाएं।
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