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देहरादून, 29 जुलाई। उत्तराखंड सरकार द्वारा राज्य के 550 से अधिक राजकीय विद्यालयों को कॉरपोरेट समूहों के सहयोग से गोद दिए जाने की योजना को लेकर राजनीतिक प्रतिक्रिया शुरू हो गई है। राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी पंकज कपूर ने इस योजना को दिखावटी और अल्पकालिक समाधान करार देते हुए सरकार पर मौलिक जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ने का आरोप लगाया है।
पार्टी का कहना है कि अगर सरकार वास्तव में राज्य की शिक्षा व्यवस्था को सशक्त बनाना चाहती है, तो उसे सबसे पहले उन स्कूलों की दुर्दशा पर ध्यान देना चाहिए जो जर्जर भवनों, शौचालय विहीन परिसरों और बिजली-पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव से जूझ रहे हैं।
जमीनी हकीकत पर चिंता जताई
पंकज कपूर ने कहा,
“शिक्षा का अधिकार सिर्फ़ किताबों में नहीं, ज़मीनी हक के रूप में लागू होना चाहिए। लेकिन राज्य के शिक्षा विभाग के हालिया आंकड़े सरकार की असल प्राथमिकताओं की पोल खोलते हैं।”
उन्होंने बताया कि:
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2,210 स्कूल पूरी तरह जर्जर हालत में हैं।
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3,691 स्कूलों में बाउंड्री वॉल तक नहीं है।
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547 स्कूलों में लड़कों के लिए और 361 स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय नहीं हैं।
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130 स्कूलों में पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है।
कपूर ने कहा कि जब सरकार स्वयं बुनियादी ज़िम्मेदारियों को पूरा करने में विफल रहती है, तो CSR (कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के नाम पर निजी हाथों में ज़िम्मेदारियां सौंप देना केवल पल्ला झाड़ने जैसा है। शिक्षा केवल जनसंपर्क का माध्यम नहीं, बल्कि सरकार का संवैधानिक दायित्व है।
पार्टी की स्पष्ट स्थिति
पार्टी ने स्पष्ट किया कि वह प्रवासी उत्तराखंडियों और निजी संस्थाओं के सहयोग की भावना का सम्मान करती है, लेकिन शिक्षा के निजीकरण या राजकीय जिम्मेदारियों से बचने की प्रवृत्ति का विरोध करती है।
पार्टी की प्रमुख मांगें:
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सभी जर्जर स्कूल भवनों की संरचनात्मक ऑडिट कराई जाए और मरम्मत कार्य तुरंत शुरू किया जाए।
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हर स्कूल में शौचालय, पानी, बिजली, फर्नीचर और बाउंड्री वॉल जैसी बुनियादी सुविधाएं प्राथमिकता के साथ उपलब्ध कराई जाएं।
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CSR फंड का उपयोग पारदर्शी तरीके से हो और उसमें जनमूल्यांकन की व्यवस्था लागू की जाए।
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शिक्षा के क्षेत्र में दीर्घकालिक नीतियों के तहत स्कूलों को आत्मनिर्भर बनाया जाए, खासकर दूरस्थ और पर्वतीय क्षेत्रों में।
“शिक्षा सहयोग फंड” बनाने का सुझाव
पंकज कपूर ने सरकार को सुझाव दिया कि प्रवासी उत्तराखंडियों के सहयोग से एक “शिक्षा सहयोग फंड” की स्थापना की जाए, जिसमें दिया गया प्रत्येक दान उसी गांव या क्षेत्र के स्कूल के लिए उपयोग किया जाए, जहां से वह सहयोग आया हो। यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और जन-जवाबदेही आधारित होनी चाहिए।
जन-जागरूकता अभियान की चेतावनी
कपूर ने कहा कि यदि सरकार केवल CSR के भरोसे स्कूलों को चमकाने की योजना बनाकर मूलभूत दायित्वों से किनारा करती रही, तो राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी पूरे राज्य में जन-जागरण और जन-दबाव अभियान शुरू करेगी।
“शिक्षा केवल भवन या स्मार्ट क्लास नहीं, बल्कि गरिमा, सुरक्षा और अवसर का अधिकार है — और पार्टी इसे सुनिश्चित करने के लिए हर स्तर पर संघर्ष करेगी।”
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