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देहरादून: देहरादून में अवैध रूप से खरीदी गई भूमि पर जिला प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए करीब 100 बीघा भूमि को सरकार में निहित कर दिया है। तहसील सदर क्षेत्र में हुई इस कार्रवाई के तहत 46 प्रकरणों में 60 व्यक्तियों को उपजिलाधिकारी (न्यायिक) कुमकुम जोशी द्वारा नोटिस जारी किए गए हैं। इन्हें 17 मार्च 2025 तक अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया है। तय समय पर जवाब न मिलने पर संबंधित भूमि को स्थायी रूप से सरकार के अधीन कर दिया जाएगा।
बाहरी राज्यों के लोगों ने नियमों को किया अनदेखा
जिन भूखंडों को सरकार में निहित किया गया है, उनमें से अधिकांश की खरीद दिल्ली, हरियाणा, नोएडा और उत्तर प्रदेश पश्चिम के व्यक्तियों द्वारा की गई थी। कई जगहों पर भूमि का उपयोग रिसॉर्ट, क्लब, पब आदि के लिए किया गया, जबकि कुछ मामलों में सरकारी और वन भूमि पर भी अवैध कब्जा किया गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर देहरादून सहित अन्य जिलों में भूमि खरीद की गहन जांच की गई, जिसमें प्रशासन ने 281 मामलों में गड़बड़ी पकड़ी। जिले में ऐसे 750 बीघा से अधिक भूमि पर नियमों का उल्लंघन पाया गया। जिलाधिकारी सविन बंसल के आदेश के बाद प्रशासन ने पहले ही फरवरी में 300 बीघा भूमि को सरकार में निहित कर लिया था। अब सदर तहसील क्षेत्र में भी यह बड़ी कार्रवाई की गई है।
बड़ासी ग्रांट में 4.4 हेक्टेयर का घोटाला, 12 साल बाद कार्रवाई
देहरादून के बड़ासी ग्रांट क्षेत्र में वर्ष 2012 में रिसॉर्ट और उद्यान के नाम पर खरीदी गई 4.4 हेक्टेयर भूमि को भी प्रशासन ने सरकार में निहित कर दिया है। इस भूमि पर कोई निर्माण नहीं किया गया और इसे अवैध रूप से बेच दिया गया।
भूमि नियमों की अनदेखी और करोड़ों की स्टांप चोरी
- यह भूमि थंपी सीसी ने सरकार की अनुमति से खरीदी थी, लेकिन बिना निर्माण किए वर्ष 2013 में गिरवीर सिंह और खुशाल सिंह को बेच दी।
- शासन की अनुमति के बावजूद भूमि का गलत श्रेणीकरण (कैटेगरी) कर दिया गया, जिससे अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं लग पाई।
- स्टांप ड्यूटी में 25 लाख रुपये से अधिक की चोरी हुई, जो जुर्माना जोड़कर 1 करोड़ रुपये से अधिक की गड़बड़ी पाई गई।
अब जिलाधिकारी सविन बंसल ने इस मामले में कार्रवाई कर पूरी जमीन सरकार में निहित कर दी है।
अवैध भूमि खरीद-फरोख्त पर प्रशासन की सख्ती जारी
देहरादून समेत पूरे उत्तराखंड में भूमि नियमों के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई की जा रही है। प्रशासन ने साफ किया है कि बिना अनुमति और गलत उद्देश्यों के लिए खरीदी गई भूमि को सरकार में निहित किया जाएगा।
आगे क्या?
- 17 मार्च तक सभी पक्षकारों को अपना जवाब देने का मौका मिलेगा।
- तय समय तक जवाब न देने पर भूमि स्थायी रूप से सरकार की होगी।
- स्टांप चोरी और राजस्व गड़बड़ी के मामलों में कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।
उत्तराखंड सरकार की यह कार्रवाई भूमि माफियाओं पर लगाम लगाने और सरकारी संपत्तियों की रक्षा करने के लिए एक बड़ा कदम मानी जा रही है।