देहरादून। श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के स्कूल आफ मैनेजमेंट एण्ड कामर्स स्टडीज़ की ओर से दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में देश के 10 विश्वविद्यालयों से 12 विशेषज्ञ वक्ताओं ने उच्च शिक्षा में तकनीकी शब्दावली की भूमिका तथा भारतीय भाषाओं में अनुप्रयोग विषय पर विचार व्यक्त किए। साथ ही शोधार्थियों द्वारा विभिन्न विषयों पर शोध पत्र भी प्रस्तुत किए गए।
श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने सम्मेलन के आयोजनकर्ताओं को सफल आयोजन के लिए बधाई दी।
शुक्रवार को दो दिवसीय सम्मेलन का शुभारंभ प्रो. गिरीश नाथ झा, अध्यक्ष सीएसटीटी, उच्च शिक्षा, भारत सरकार, प्रो कश्यप, कुलसचिव एसजीआरआर, इंजीनियर जेएस रावत, डाॅ पूजा जैन, सम्मेलन की समन्वयक ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलन कर किया।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर यशवीर दीवान ने शिक्षकों से जनमानस तक हिंदी भाषा को पहुंचाने के लिए अनुवाद करने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा इससे हिंदी भाषा के छात्रों का हित होगा
वहीं विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉक्टर अजय कुमार खंडूरी ने छात्रों और शोधार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि पहाड़ी अंचलों में और सीमांत क्षेत्र में रहने वाले छात्र अंग्रेजी भाषा ना आने के कारण अपनी मेधावी प्रतिभा को लोगों के सामने नहीं ला पाते हैं । उन्होंने श्री गुरु राम राय विश्वविद्यालय के शिक्षकों को ऐसी प्रतिभाओं को निखारने के लिए प्रेरित किया|
संगोष्ठी की शुरुआत करते हुए आयोजन की समन्वयक प्रोफेसर पूजा जैन ने उपस्थित अतिथियों का परिचय दिया|
तकनीकी सत्र के प्रथम दिन प्रोफेसर कश्यप कुमार दुबे, स्कूल ऑफ़ बायोटेक्नोलॉजी जेएनयू, विशिष्ट अतिथि ने कहा कि तकनीकी शब्दावली का महत्व भारतीय भाषाओं में शिक्षा प्रदान करना होना चाहिए। अध्यापन के समय शिक्षकों कों हिंदी भाषी क्षेत्रों से आने वाले छात्रों को हिंदी भाषा की पुस्तकों का संदर्भ भी जरूर बताना चाहिए। उनका कहना था कि तकनीकी और वैज्ञानिक शब्दों के प्रयोग को आम बोलचाल में शामिल किया जाना चाहिए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर गिरीश नाथ झा, अध्यक्ष वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग, भारत सरकार, ने उपस्थित छात्रों और शोधार्थियों को जानकारी देते हुए कहा कि भारत सरकार तकनीकी शब्दों के संवर्धन और संरक्षण के लिए शब्दशाला परियोजना की शुरुआत करने जा रही है । साथ ही भाषा की दुविधा से बचने के लिए और भाषाई डिप्रेशन के कारण मेधावी छात्रों की आत्महत्या रोकने के लिए अनिवार्य और कठोर से कठोर कदम उठाने की बात कही| उन्होंने मातृभाषा के संरक्षण और मातृभाषा में शोध पत्र प्रकाशित करने के विषय पर भी जोर दिया|
प्रथम तकनीकी सत्र के अध्यक्ष आशुतोष कुमार तिवारी, उप निदेशक भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान देहरादून, रहे| प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए प्रोफेसर रजत अग्रवाल आईआईटी रुड़की, प्रबंधन विभाग , मुख्य वक्ता ने कृषि अर्थव्यवस्था से ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में परिवर्तन विषय पर शोध पूर्ण वक्तव्य प्रस्तुत किया| साथ ही उन्होंने बौद्धिक संपदा और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था पर विशेष जोर दिया। उन्होंने स्टार्टअप, पेटेंट और प्रतिलिप्याधिकार विषय पर विस्तृत जानकारी दी| उनका कहना था कि उत्तराखंड विविधतापूर्ण एवं प्रतिभाओं का धनी प्रदेश है, इसलिए यहां के विशिष्ट उत्पादों की जीआई टैगिंग होनी जरूरी है।
द्वितीय तकनीकी सत्र की अध्यक्षता करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सत्यपाल सिंह, संस्कृत विभाग दिल्ली विश्वविद्यालय ने छात्रों और शोधार्थियों को संस्कृत और हिंदी के प्रयोजनमूलक शब्दों के प्रयोग की बात कही।
इस सत्र के प्रथम मुख्य वक्ता प्रोफेसर राजेंद्र मेहता दिल्ली विश्वविद्यालय के आधुनिक भारतीय भाषा एवं साहित्यिक अध्ययन विभाग, ने शोध में नवाचारों के प्रयोग पर बल दिया| साथ ही साहित्य में आम आम बोलचाल की भाषा के शब्दों के प्रयोग की बात कही।
स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट प्रोफेसर राकेश डोडी डीन स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय ने छात्रों को संबोधित करते हुए प्रबंधन में वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली पर जोर दिया|