UCC और डिजिटल सिस्टम पर फूटा वकीलों का गुस्सा ,सचिवालय तक पहुंची ललकार!
देहरादून, 10 जून 2025 —
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून सोमवार को उस समय साक्षी बनी जब न्याय के रक्षक कहे जाने वाले अधिवक्ताओं ने अपने ही अधिकारों और न्याय की मांग को लेकर सचिवालय का रुख किया। यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) और रजिस्ट्री प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल किए जाने के विरोध में सैकड़ों वकीलों ने सड़क पर उतरकर सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया।
क्या है मामला?
राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर अधिवक्ताओं में खासा असंतोष है। उनका कहना है कि यह कानून देश की विविध संस्कृति और धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा आघात है। साथ ही, रजिस्ट्री की प्रक्रिया को पूरी तरह पेपरलेस बनाए जाने का निर्णय भी वकीलों को रास नहीं आया।
प्रदर्शन का नज़ारा
अधिवक्ताओं ने सुबह विधि भवन से सचिवालय तक पैदल मार्च किया।
‘UCC वापस लो’, ‘न्यायपालिका की गरिमा बचाओ’, और ‘डिजिटल नहीं, जवाब चाहिए’ जैसे नारों से शहर गूंज उठा।
रैली में महिला अधिवक्ताओं की भी बड़ी भागीदारी देखी गई।
क्या बोले अधिवक्ता?
वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नेगी ने कहा, “हम डिजिटल भारत के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन बदलाव थोपे नहीं जाते। जब तक हर नागरिक और वकील तकनीकी रूप से तैयार नहीं होता, ये निर्णय अव्यवहारिक हैं।”
वहीं अधिवक्ता शालिनी रावत ने कहा, “UCC व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर सीधा हमला है। सरकार को पहले संवाद करना चाहिए था।”
असर और आगे की रणनीती
जिला न्यायालयों में कामकाज पूरी तरह ठप रहा।
दस्तावेज़ सत्यापन, स्टांप बिक्री, और केस संबंधित प्रक्रियाएं बंद रहीं।
बार एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि यदि मांगें नहीं मानी गईं, तो पूरे राज्य में अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी।
यह आंदोलन केवल एक विरोध नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि यदि नीति निर्माण में संवाद और पारदर्शिता नहीं होगी, तो न्याय के रक्षक भी सड़कों पर उतर सकते हैं। अब निगाहें सरकार पर हैं कि वह वकीलों की ‘सचिवालय तक पहुंची ललकार’ का क्या जवाब देती है।