देहरादून, देहरादून में मानवीयता की एक मिसाल तब देखने को मिली जब जिलाधिकारी सविन बंसल ने बुजुर्ग माता-पिता को उनका हक वापस दिलाया। बुजुर्ग सरदार परमजीत सिंह व उनकी पत्नी अमरजीत कौर ने अपने बेटे गुरविंदर सिंह को गिफ्ट डीड के ज़रिए 3080 वर्ग फीट की संपत्ति सौंपी थी, परन्तु पुत्र ने डीड की शर्तों का उल्लंघन करते हुए उन्हें ही घर से बाहर कर दिया।
गिफ्ट डीड की शर्तें और बेटे की नाफरमानी
परमजीत सिंह द्वारा की गई गिफ्ट डीड में स्पष्ट था कि बेटे को माता-पिता का भरण-पोषण करना होगा, उनके साथ ही रहना होगा और बच्चों को दादा-दादी से मिलने से नहीं रोका जाएगा। मगर संपत्ति नाम होते ही गुरविंदर सिंह ने माता-पिता को घर से निकाल दिया और पोते-पोतियों से भी मिलने नहीं दिया।
DM न्यायालय का सख्त फैसला: गिफ्ट डीड रद्द
थाना, तहसील और अवर न्यायालय से निराश होकर जब बुजुर्ग दंपत्ति ने डीएम न्यायालय की शरण ली, तो जिलाधिकारी सविन बंसल ने भरणपोषण अधिनियम 2007 की विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हुए गिफ्ट डीड को रद्द कर संपत्ति पुनः बुजुर्गों के नाम कर दी।
पूरा मामला: सुनवाई, नोटिस और निर्णय
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डीएम न्यायालय ने बेटे को विधिवत नोटिस जारी किया।
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सार्वजनिक विज्ञप्ति के माध्यम से सूचना भी दी गई।
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फिर भी बेटे द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया।
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पहली ही सुनवाई में फैसला सुनाते हुए गिफ्ट डीड निरस्त कर दी गई।
भावुक क्षण: इंसाफ मिलने पर छलके आंसू
जब आदेश सुनाया गया तो बुजुर्ग दंपत्ति की आंखों में आंसू छलक आए। वर्षों बाद उन्हें न्याय मिला और उनका आत्मसम्मान बहाल हुआ।
मुख्य बिंदु
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गिफ्ट डीड में 3080 वर्ग फीट की संपत्ति बेटे के नाम की गई थी
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बेटे ने माता-पिता को घर से निकाला और पोते-पोती से मिलने से रोका
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डीएम कोर्ट ने पहली ही सुनवाई में डीड को किया रद्द
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भरणपोषण अधिनियम की विशेष शक्तियों का प्रभावी प्रयोग
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बुजुर्ग दंपत्ति को पुनः मिली संपत्ति और न्याय
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