उत्तराखंड के वन विभाग में एक और बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसे “कॉर्बेट-2” कहा जा रहा है। यह मामला मुनस्यारी में ईको टूरिज्म के नाम पर बनाए गए ईको हट्स से जुड़ा है, जिसमें करोड़ों रुपये की अनियमितताओं और सरकारी धन के दुरुपयोग का आरोप है। इस मामले में वर्तमान में हल्द्वानी के वन संरक्षक और वरिष्ठ IFS अधिकारी डॉ. विनय कुमार भार्गव मुख्य आरोपी हैं, जो एक कैबिनेट मंत्री के दामाद भी बताए जा रहे हैं।
शासन ने 18 जुलाई 2025 को आदेश जारी कर डॉ. भार्गव को 15 दिन में स्पष्टीकरण देने का अंतिम अवसर दिया है। साथ ही, विभागीय जांच रिपोर्ट के आधार पर CBI और ED जांच की सिफारिश की गई है। रिपोर्ट में मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत आपराधिक मुकदमा दर्ज करने की बात भी कही गई है।
मुख्य आरोपों का सारांश:
1. बिना स्वीकृति संरचनात्मक निर्माण
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मुनस्यारी रेंज के आरक्षित वन क्षेत्र में बिना अनुमति बनाए गए:
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डॉरमेट्री
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वन उत्पाद विक्रय केंद्र
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10 वीआईपी ईको हट्स
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ग्रोथ सेंटर
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2. बिना टेंडर निजी संस्था को करोड़ों का ठेका
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सार्वजनिक टेंडर प्रक्रिया का उल्लंघन कर एक निजी संस्था को ठेका और एकमुश्त भुगतान।
3. 70% पर्यटन आय निजी संस्था को हस्तांतरित
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बिना सक्षम अनुमोदन के MoU साइन कर आय का बड़ा हिस्सा एक संस्था को सौंपा, जो कथित तौर पर एक विधायक की है।
4. वन संरक्षण अधिनियम 1980 का उल्लंघन
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स्थायी संरचनाएं बिना केंद्र की धारा 2 के अंतर्गत मंजूरी के बनाई गईं।
5. फायरलाइन घोटाला
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जहां योजना में 14.6 किमी फायरलाइन थी, वहां 90 किमी दर्शाकर ₹2 लाख का फर्जी खर्च दिखाया गया।
घोटाले की लागत और संदेहास्पद वित्तीय गतिविधियां
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कुल निर्माण खर्च: ₹1.63 करोड़
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ईको हट्स से अर्जित 70% राजस्व निजी संस्था को
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सभी मापन पुस्तिकाएं एक ही दिन में भर दी गईं
जांच रिपोर्ट: संजीव चतुर्वेदी IFS की निष्पक्ष पड़ताल
IFS अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने अगस्त से दिसंबर 2024 के बीच मामले की जांच कर 700 पृष्ठों की विस्तृत रिपोर्ट दो चरणों में तैयार की। यह रिपोर्ट दिसंबर 2024 और जनवरी 2025 में HoFF को सौंपी गई। मार्च 2025 में इसे शासन को भेजा गया और मुख्यमंत्री ने जून 2025 में अनुमोदन किया।
डॉ. भार्गव का पुराना इतिहास और राजनीतिक संरक्षण
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2015 में नरेंद्रनगर में DFO रहते हुए भी वित्तीय गड़बड़ी के आरोप लगे थे, लेकिन अनुभव की कमी कहकर बचा लिया गया।
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लगातार प्रभावशाली पदों पर बने रहना और राजनीतिक संरक्षण की चर्चाएं।
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बताया जा रहा है कि उनकी शादी एक कैबिनेट मंत्री की भतीजी से हुई है।
फिल्म निर्माता शेखर कपूर का भी नाम
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शेखर कपूर ने स्वयं स्वीकारा कि उन्होंने इन ईको हट्स में ठहराव किया था।
निजी संस्था का संदिग्ध ऑडिट
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संस्था का ऑडिट जैसलमेर की एक फर्म से एक साथ चार वर्षों (2020–24) का कराया गया, जबकि मुनस्यारी से इसकी दूरी हजारों किमी है।
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