Education for rescued children, Intensive care shelter for children
देहरादून, 30 मई 2025 – मा. मुख्यमंत्री के कुशल मार्गदर्शन और जिलाधिकारी श्री सविन बंसल के सतत प्रयासों से देहरादून में शिक्षा की एक नई क्रांति देखने को मिल रही है। जिले में बाल भिक्षावृत्ति और बाल श्रम के दलदल में फंसे बच्चों को मुख्यधारा की शिक्षा से जोड़ने के उद्देश्य से राज्य का पहला आधुनिक “इंटेंसिव केयर शेल्टर” स्थापित किया गया है।
माइक्रोप्लान हुआ सफल, शिक्षा और तकनीक से जुड़ रहे बच्चे
Child labour rehabilitation, Modern education center for children
जिलाधिकारी द्वारा तैयार किए गए माइक्रोप्लान के तहत इन बच्चों को रेस्क्यू कर साधुराम इंटर कॉलेज परिसर में बनाए गए इस विशेष शेल्टर में लाया जा रहा है। यहां बच्चों को योग, संगीत, चित्रकला, कंप्यूटर, खेल, और नाटक जैसी गतिविधियों के साथ-साथ पठन-पाठन की आधुनिक सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा रही हैं।
शिक्षा के साथ मिल रही आधुनिक सुविधाएं
Smart classrooms for rescued children, Music and yoga for child development
राज्य के पहले इंटेंसिव केयर शेल्टर में बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए हर आवश्यक सुविधा प्रदान की जा रही है:
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स्मार्ट क्लासरूम और प्रशिक्षित शिक्षक
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कंप्यूटर लैब और डिजिटल शिक्षा
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संगीत कक्ष और योग प्रशिक्षक
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खेल सामग्री और नाट्य मंच
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नियमित स्वास्थ्य परीक्षण और पौष्टिक भोजन
शिक्षा की ओर बढ़ता हर कदम, उज्ज्वल भविष्य की ओर इशारा
Rehabilitation of child beggars, Future of rescued children
अब तक इस शेल्टर में 25 से 30 बच्चे प्रतिदिन कक्षाएं ले रहे हैं, और 19 बच्चों को नियमित विद्यालयों में दाखिला भी दिलाया जा चुका है। इनमें वे बच्चे भी शामिल हैं जिन्हें रेस्क्यू किया गया है या जो विभिन्न संस्थानों/घरों से इस योजना से जुड़े हैं।
निजी स्कूलों जैसी सुविधाएं, लेकिन उद्देश्य है सामाजिक पुनर्वास
Private school-like shelter, Social rehabilitation through education
यह मॉडल इंटेंसिव केयर शेल्टर न केवल भिक्षावृत्ति और बाल मजदूरी से बच्चों को मुक्त करता है, बल्कि उन्हें समान अवसरों और आत्मनिर्भर भविष्य की ओर अग्रसर करता है। इसमें स्वयंसेवी संस्थाएं, विशेषज्ञ और शिक्षाविद् भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
निष्कर्ष
Government initiative for child welfare, Model shelter for rescued kids
देहरादून जिले की यह पहल पूरे प्रदेश के लिए एक आदर्श मॉडल के रूप में सामने आ रही है। यह केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि समाज के उन बच्चों के लिए नई आशा की किरण है जो अब तक शिक्षा से वंचित थे। मा. मुख्यमंत्री और जिलाधिकारी के इस नवाचार से भविष्य की पीढ़ी मजबूत और सक्षम बन रही है।