प्रसव पीड़ा से घायल बाघिन क्षेत्र में घूम रही हैं,शावकों और ग्रामीणों को बचाना वन विभाग की जिम्मेदारी,फिलहाल डीएफओ तिवारी एक्शन मोड में
हल्द्वानी के भाबर क्षेत्र ग्राम हरिपुर मोतिया ग्रामसभा हरिपुर जमन सिंह में आबादी क्षेत्र में एक बाघिन ने दो शावकों को जन्म दिया है,मौके पर बाघिन मौजूद नहीं है, जिसको लेकर सर्वप्रथम ग्रामीण महिला ने बाघिनों को शावकों को देखा जिनका इंटरव्यू जल्द आपको पहाड़पन और उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट से दिखाएंगे और उन्होंने अपने परिवार में बताया,उसके बाद क्षेत्र के ही विजय बिष्ट ने उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट के ब्यूरो चीफ और पहाड़पन न्यूज वेबसाइट के संपादक और बीते दिनों जिन्होंने गांव के अंदर सरकार की बड़ी परियोजना को लेकर आंदोलन किया था किसानपुत्र कार्तिक उपाध्याय को सूचित किया और वह गांव में पहुंचे उन्होंने बाघिन के शावकों की तस्वीर लेकर सबसे पहले डीएफओ से संपर्क किया,तब तक वहां पर फॉरेस्ट गार्ड और क्षेत्रीय इंचार्ज शंकर पहुंचे,ग्रामीणों से अनुरोध किया गया कि शावकों को अकेला छोड दें,भीड़ कम करें 10:04 पर क्षेत्रीय रेंजर वहां पहुंचे जबकि प्रातः ही उन्हें उनके विभागीय कर्मचारियों ने सूचित कर दिया था,10:07 पर डीएफओ मौके पर पहुंचे उन्होंने सर्वप्रथम अपने अधिकारियों को फटकार लगाई कि गांव के बीच शावकों ने जन्म लिया है बाघिन मौके पर नहीं है और आप लोग समय से यहां क्यों नहीं पहुंचे इस दौरान डीएफओ काफी एक्शन मूड में नजर आएं,उसके बाद ग्रामीण परिवार और कार्तिक उपाध्याय डीएफओ रेंजर एवं विभागीय अधिकारियों ने पूरे क्षेत्र को देखा और अब वन विभाग ने यह निर्णय लिया है कि अगले 24 घंटे शावकों को निगरानी में रखा जाएगा,इसके लिए वन विभाग ट्रैप कैमरे और पूरी फोर्स जल्द घटनास्थल पर मंगवा रहा हैं।
24 घंटे बाद अगला निर्णय लिया जाएगा कि करना क्या है,तब तक डीएफओ एम तिवारी ने ग्रामवासियों से शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील करी है और अनुरोध किया है कि ग्रामवासी वन विभाग का सहयोग करें,क्योंकि ग्रामीणों को बचाना और शावकों को बचाना दोनों वन विभाग एवं ग्रामीणों की आपसी जिम्मेदारी है।
गांव के बीच शावकों को जन्म देने का कारण कृषि भूमि जो की आवासीय बन चुकी है और अब तक उसमें मकान नहीं बने हैं और बड़ी-बड़ी झाड़ियां लग चुकी है यह है सब जानते हैं,जिसके लिए आगे लगातार पहाड़पन न्यूज़ और उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट अधिकारियों से वार्ता करता रहेगा,परंतु अभी शावकों को बचाना और उस प्रसव के दर्द से घायल बाघिन से खुद को बचाना दोनों प्राथमिकता है।
आगे की तमाम इन बाघिन और शावकों के बच्चों की अपडेट देखने के लिए जुड़े रहिए उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट और पहाड़पन पहाड़ों की आवाज से।