38 बीघा जमीन खरीद में अनियमितताओं की जांच nearing completion
देहरादून: हरिद्वार जिले के सराय क्षेत्र में हुए बहुचर्चित हरिद्वार भूमि घोटाले (Haridwar Land Scam) की जांच अंतिम दौर में पहुंच गई है। अब तक जांच अधिकारी आईएएस रणवीर सिंह चौहान द्वारा इस प्रकरण में 24 से अधिक अधिकारियों और कर्मचारियों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं।
नगर निगम द्वारा 54 करोड़ में खरीदी गई जमीन बनी संदेह का केंद्र
हरिद्वार नगर निगम ने जिस जमीन को लगभग ₹54 करोड़ रुपये में खरीदा, उसकी खरीद प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठे हैं। जांच में सामने आया है कि जमीन की खरीद के समय प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया, और कई नियमों की अनदेखी की गई।
लैंड यूज़ चेंज (Land Use Change) बना घोटाले की जड़
इस जमीन का लैंड यूज़ चेंज (143 के तहत) ठीक उस समय किया गया जब इसे नगर निगम को बेचा गया था। जांच में लैंड यूज़ बदलने की टाइमिंग को लेकर भी संदेह गहराया है, जिससे अंदेशा है कि जानबूझकर जमीन का मूल्य बढ़ाया गया।
प्रशासन और नगर निगम के अफसरों पर टिकी नजर
इस मामले में जिला प्रशासन और नगर निगम के कई अधिकारियों से पूछताछ हो चुकी है। इसके साथ ही जमीन बेचने वाले पक्षकारों से भी बयान लिए गए हैं। दस्तावेजों की जांच और स्थल निरीक्षण (site inspection) के बाद जांच अधिकारी अंतिम रिपोर्ट तैयार करने की प्रक्रिया में हैं।
बड़े अधिकारियों पर गिर सकती है गाज
अब तक इस मामले में चार अधिकारियों को सस्पेंड किया जा चुका है। माना जा रहा है कि अंतिम रिपोर्ट में कुछ बड़े अधिकारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में आ सकती है।
जल्द सौंपे जाने की संभावना रिपोर्ट
आईएएस रणवीर सिंह चौहान ने जांच के सभी दस्तावेज और गवाहों के बयान एकत्र कर लिए हैं। अब अंतिम रिपोर्ट को तय प्रक्रिया के अनुसार अंतिम रूप दिया जा रहा है। संभावना जताई जा रही है कि एक हफ्ते के भीतर यह रिपोर्ट शासन को सौंपी जा सकती है।