प्लेटफार्मों पर नहीं लग रहा भिखारियों का जमावड़ा
हरिद्वार स्टेशन प्रतिदिन 44 से अधिक जोड़ी ट्रेनों का संचालन देखता है और करीब 18 हजार यात्री यहां से गुजरते हैं। यात्री बहुल क्षेत्र होने की वजह से प्लेटफार्म नंबर 1 के फुटओवर ब्रिज के नीचे, 3, 4 और मेला प्लेटफार्म पर भिखारियों का स्थायी ठिकाना बन गया था।
लेकिन जीआरपी की सख्त कार्रवाई के बाद अब इन स्थानों पर भिखारी नजर नहीं आ रहे हैं और पहले की तुलना में काफी सफाई देखने को मिल रही है।
लावारिस शवों की संख्या में दिखा बड़ा बदलाव
पिछले साल स्टेशन परिसर में लावारिस शव मिलना आम बात थी। 2024 में जनवरी से दिसंबर तक कुल 55 लावारिस शव बरामद किए गए थे, जिनमें बड़ी संख्या उन्हीं लोगों की थी जो स्टेशन परिसर में रहते थे और पहचान न होने के कारण पुलिस को पहचान में भारी मशक्कत करनी पड़ती थी।
अगस्त 2025 से अभियान शुरू होने के बाद हालात बदल गए—
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सितंबर 2024: 7 शव
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अक्तूबर 2024: 6 शव
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नवंबर 2024: 3 शव
इस साल आंकड़े तेजी से गिरे हैं—
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सितंबर 2025: 2 शव
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अक्तूबर 2025: 1 शव
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नवंबर 2025 (अब तक): सिर्फ 1 शव
इन आँकड़ों से साफ है कि अभियान ने मौतों और लावारिस शवों की संख्या को भी प्रभावी रूप से कम किया है।
स्टेशन परिसर में लगातार मॉनिटरिंग
जीआरपी द्वारा पूरे स्टेशन क्षेत्र में अनाधिकृत व्यक्तियों को रोकने के लिए विशेष निगरानी रखी जा रही है। जिन स्थानों पर पहले भिखारी रहते थे, वे अब पूरी तरह साफ दिख रहे हैं।
जीआरपी थाना प्रभारी बिपिन चंद्र पाठक के अनुसार:
“स्टेशन परिसर में बिना कारण मौजूद रहने वालों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। पहले हर महीने कई लावारिस शव मिलते थे, अब इनकी संख्या में स्पष्ट कमी आई है।”










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