ब्यूरो न्यूज़ उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट
नैनीताल जनपद से स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही का प्रमाण पत्र बना हुआ हैं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र टाइप ए फुटकुआ,यहां अस्पताल की सुध लेने वाले कोई अधिकारी नहीं हैं।
जहां एक तरफ उत्तराखंड में आय दिन खबरें आती हैं समय से एंबुलेंस नहीं आने के कारण दुर्घटना घटी मरीज समय से अस्पताल नहीं पहुंच पाएं जिससे राज्य सरकार की छवि भी लगातार धूमिल होती है,एक तरह तो उत्तराखंड में स्वास्थ्य बजट की कोई कमी नहीं लेकिन यह बजट लगता हैं यह वाकई एक बड़ा और गंभीर सवाल हैं,वहीं दूसरी तरफ सरकारी अस्पताल के अंदर सरकार को एंबुलेंस सड़ने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों ने छोड़ी हुई हैं,जबकि यदि विभाग के अधिकारी अपने कर्तव्यों के प्रति गंभीर होते तो इन गाड़ियों का कही न कही मरीज के हित में इस्तेमाल किया जा सकता था लेकिन क्या कहें उत्तराखंड को देवभूमि कहते हैं और यहां के नागरिक भी भगवान भरोसे ही हैं।
आपको बताते चलें रामपुर रोड बेलबाबा मंदिर से लेकर लगभग 3 ग्राम पंचायत इस सरकारी अस्पताल के दायरे में आती हैं लेकिन इलाज के नाम पर यहां कुछ भी नहीं,सुविधाएं ना होने के कारण यहां मरीज आते ही नहीं न चिकित्सक न दवा जाएं भी भला क्यों?
यदि यहां एक जनरल फिजिशियन डॉ और एक महिला चिकित्सक बैठा दी जाएं तो कई ग्रामीण वासियों को इसका सीधा लाभ मिलेगा,और कुमाऊं के द्वारा सुशीला तिवारी अस्पताल पर जरूरत से अधिक मरीजों का भार भी कम होगा,आखिर विभाग और जनप्रतिनिधि क्यों अपनी बिल्डिंगों पर नजर नहीं डालते उक्त अस्पताल की बिल्डिंग जर्जर होना शुरू हो चुकी हैं और यदि यहीं हाल रहा तो एक दिन गिर भी जाएगी।
लेकिन यह भी सच हैं यदि राज्य सरकार स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार की सुरक्षा करने के उद्देश्य से यदि इन सरकारी अस्पताल में इलाज की सुविधा शुरू कर दें तो फिर कैसे राजनेताओं के सहयोगी निजी संस्थान अस्पताल कैसे चलेंगे।
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