रिपोर्ट : कार्तिक उपाध्याय
कोरोना काल के दौरान राज्य सरकार की लाज,एवम मरीजों को बचाने वाले कोरोना कर्मचारियों को राज्य सरकार द्वारा कोरोना खत्म होने के बाद नौकरी से निकाल दिया था,इसके बाद से ही लगातार ये बर्खास्त कर्मचारी लगातार हर जिलें में आंदोलनरत रहें।
अब देहरादून स्थित एकता विहार धरना स्थल में कर्मचारी लगभग 240 दिनों से अपनी मांग को लेकर सरकार के खिलाफ टेंट लगाकर धरने पर बैठे हुए हैं,सैकड़ों ज्ञापन स्वास्थ्य मंत्री एवम मुख्यमंत्री को दे चुके लेकिन अबतक उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई।
इस समय राज्य का विधानसभा सत्र अस्थाई राजधानी देहरादून में संचालित हो रहा हैं और कोरोना कर्मचारियों ने आज विधानसभा घेराव का ऐलान किया हैं।
कोविड 19 कर्मचारी संघ के अध्यक्ष संतोष राणा का कहना हैं कि “जब मरीजों के परिवार वाले तक साथ नहीं दे रहें थे,सरकार के लोग बंद कमरों से वर्चुअल मीटिंग ले रहें थे तब हमने अस्पताल में मरीजों की सेवा अपनी जान पर खेलकर करी ताकि मरीजों को बचाया जा सके लेकिन सरकार ने टिसू पेपर की तरह उनका जरूरत के समय इस्तेमाल किया और फिर अस्पताल से निकालकर धरना स्थल फेंक दिया”
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी आरआरपी का समर्थन
कोविड 19 कर्मचारियों के आज होने वाले विधानसभा कूच को राज्य की क्षेत्रीय पार्टी आरपी का भी समर्थन मिला है,आरआरपी के संयोजक शिव प्रसाद सेमवाल ने कहा कि यदि उत्तराखंड एक अदृश्य शत्रु कोरोना से जीत पाया तो उसका सबसे बड़ा कारण यहीं कर्मचारी हैं,राज्य के मुख्यमंत्री से लेकर देश के प्रधानमंत्री ने तक इन कर्मचारियों के लिए बड़ी बड़ी घोषणाएं उस दौरान की थी लेकिन कर्मचारियों को नौकरी से निकालकर राज्य सरकार ने अपना दूसरा चेहरा और दोहरे चरित्र का प्रमाण दिया हैं,स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत को विधानसभा से बाहर आकर इन कर्मचारियों से मुलाकात करनी चाहिए”
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