उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सिक्ख समाज के विवाह को पंजीकृत करने वाली जनहित याचिका में देश के दस अन्य राज्यों की तरह उत्तराखंड में भी नियमावली लागू करने के लिए मुख्य सचिव को निर्देशित किया । कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने याचिका को निस्तारित कर दिया है ।
नैनीताल निवासी युवा अधिवक्ता अमनजोत सिंह चड्ढा ने उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर कहा कि हमारे राज्य में भी देश के दस अन्य राज्यों की तरह आनंद मैरेज एक्ट 1909 के अंतर्गत सिक्खों के विवाहों को पंजीकृत करने की अनिवार्यता होनी चाहिए । उन्होंने न्यायालय को बताया कि मिज़ोरम, हरयाणा, केरल, हिमांचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश में ये विवाह पंजीकृत होते हैं ।
सिक्ख समाज से जुड़े आनंद मैरेज एक्ट 1909 के नियमों में, दिए बिंदुओं को जोड़ने के लिए याचिकाकर्ता ने वर्ष 2021 में जनहित याचिका दायर की थी। मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आर.सी.खुल्बे की खंडपीठ ने आज अपने फैसला सुनाया ।
याची ने सिखों के विवाह को अनिवार्य रूप से पंजीकृत करने की बात याचिका में कही है । उन्होंने बताया है कि इससे बाल विवाह, एक समय में दो लोगों से शादी और बहू पत्नी विवाह के साथ महिला और विधवा सुरक्षा जैसी कई कुरीतियां सामने आएंगी जिन्हें रोका जा सकेगा ।
आपको बता दे खंडपीठ ने मुख्य सचिव को निर्देशित किया है कि वो इस मुद्दे को कैबिनेट के सामने रखे और इसका राजपत्र में प्रचार कर विधानसभा सत्र में पेश करें । न्यायालय ने कहा कि सिखों के विवाह की नियमावली, आनंद मैरेज एक्ट 1909 में विवाह को पंजीकृत करने के लिए राज्य सरकार ने अनिवार्य रूप से इन बिंदुओं को जोड़ना चाहिए । न्यायालय ने इसी के साथ याचिका को निस्तारित कर दिया गया है ।