देहरादून: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हरिद्वार में 2010 में हुए पुस्तकालय घोटाले के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जनहित याचिका को निस्तारित कर दी है। सरकार ने शपथपत्र में कहा कि सभी पुस्तकालयों को नगर निगम को दे दिया गया है ।
कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आर.सी.खुल्बे की खण्डपीठ के सामने आज सरकार की तरफ से शपथपत्र पेस किया गया । सरकार ने कहा कि सभी पुस्तकालयों को नगर निगम को दे दिया गया है और नगर निगम इनका संचालन कर रही है । इसलिए जनहित याचिका का अब कोई औचित्य नही रह गया है। शपथपत्र के आधार पर न्यायालय ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दी ।
मामले के अनुसार देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि 2010 में तत्कालीन विधायक मदन कौशिक के ने विधायक निधि से लगभग डेढ़ करोड़ की लागत से 16 पुस्तकालय बनाने के लिए पैसा आवंटित किया था । पुस्तकालय बनाने के लिए भूमि पूजन से लेकर उद्घाटन तक का फाइनल पेमेंट कर दिया गया। लेकिन आज तक धरातल पर किसी भी पुस्तकालय का निर्माण नहीं किया गया । इससे स्पष्ट होता है कि विधायक निधि के नाम पर विधायक ने तत्कालीन जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी समेत ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता के साथ मिलकर बड़ा घोटाला किया गया ।
याचिकाकर्ता का कहना है कि पुस्तकालय निर्माण का जिम्मा ग्रामीण अभियंत्रण सर्विसेस को दिया गया और विभाग के अधिशासी अभियंता के फाइनल निरीक्षण और सीडीओ की संस्तुति के बाद काम की फाइनल पेमेंट की गई। जिससे स्पष्ट होता है कि अधिकारियों की मिलीभगत से बड़ा घोटाला हुआ है लिहाजा पुस्तकालय के नाम पर हुए इस घोटाले की सीबीआई जांच करवाई जाए।
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