उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने लोक सेवा आयोग द्वारा उत्तराखंड सम्मिलित राज्य (सिविल)अवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा (लोवर पी.सी.एस.) 2021 की प्रारंभिक परीक्षा से 12 प्रश्न हटाए जाने पर एकलपीठ के आदेश के खिलाफ विशेष अपील पर सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आर.सी.खुल्बे की खण्डपीठ ने एकलपीठ के आदेश को सही मानते हुए 82 से अधिक अभ्यर्थियों की विशेष अपील को निरस्त कर दिया। न्यायालय ने यह भी कहा कि आयोग के इस निर्णय से किसी भी अभ्यर्थी का हित प्रभावित नही हुआ है। सभी को एक समान बोनस अंक मिले है।
आज इस मामले में अश्वनी कुमार, पूरन भट्ट सहित 80 अभ्यर्थियों के द्वारा एकलपीठ के आदेश को चुनोती दी गयी। मामले के अनुसार पूर्व में रामनगर निवासी पवन नैनवाल, विकास शर्मा सहित कुल 55 लोगो ने याचिका दायर कर कहा था कि लोक सेवा आयोग ने लोवर पी.सी.एस.की प्रारंभिक परीक्षा फरवरी 2021 में कराई थी । जिसमे लोक सेवा आयोग के विशेषज्ञों ने 12 सही प्रश्नों को बिना किसी उचित आधार के गलत घोषित करते हुए 12 प्रश्न हटा दिए और 12 बोनस अंक सभी अभियर्थीओ को दे दिए जिस कारण उन 12 प्रश्नों के सही उत्तर देने वाले सैकड़ों अभ्यर्थी नेगेटिव अंक प्रणाली के आधार पर अनुत्तीर्ण हो गए और वो मेन्स की परीक्षा से भी वंचित रह गए । लिहाजा उनको मेंस की परीक्षा में समल्लित होने की अनुमति दी जाय। जिन लोगों के अंक कम थे या जिन्होंने ये प्रश्न नही किए थे वे मेरिट लिस्ट में ऊपर आ गए । एकलपीठ ने अपने आदेश में आयोग के विशेषज्ञों के तर्क से समहत होकर याचिकर्ताओ की याचिका को निरस्त कर दिया था। जिसके खिलाफ आज 82 से अधिक अभ्यर्थियों के द्वारा एकलपीठ के आदेश को खण्डपीठ में चुनोती दी गयी।