उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने चर्चित एन.एच.74 घोटाले के दस आरोपियों के मामले में निर्णय देते हुए सभी आरोपियों की याचिकाओं को निरस्त कर दिया।न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ ने निचली अदालत के आदेश को सही ठहराया। इस मामले में न्यायालय ने 24 अप्रैल को सुनवाई के बाद निर्णय को शुरक्षित रख लिया था।
मामले के अनुसार आरोपी पी.सी.एस. डी.पी.सिंह, अर्पण कुमार, संजय कुमार चौहान, विकास कुमार, भोले लाल, भगत सिंह फोनिया, मदन मोहन पलड़िया, बरिंदर सिंह बलवंत सिंह, रमेश कुमार व ओम प्रकाश ने अलग अलग याचिकाएं दायर कर निचली अदालत के 28 अप्रैल 2022 के आदेश को चुनौती दी थी। निचली अदालत ने ई.डी.को आदेश दिया था कि इनके खिलाफ अलग अलग शिकायतों के आधार पर अलग अलग मुकदमें दर्ज की जाएं। जिसके बाद ई.डी.ने उनके खिलाफ अलग अलग मुकदमें दर्ज किए। याचिकाओं में कहा गया कि यह आदेश गलत है। पहले के मुकदमें को वापस नहीं लिया जा सकता। घोटाले में आरोपियों के खिलाफ अलग अलग शिकायतें दर्ज हैं जबकि किसी के खिलाफ एक तो किसी के खिलाफ दो या तीन मामले दर्ज हैं। डी.पी.सिंह के खिलाफ सात शिकायतें दर्ज हैं। अगर वे एक केस में उपस्थित नहीं होने का प्राथर्ना पत्र देते हैं तो उन्हें अन्य छः केसों में भी प्रार्थनापत्र देना पड़ेगा, नहीं देने पर उनके खिलाफ कुछ भी आदेश हो सकता है। इसलिए इस आदेश को निरस्त किया जाय। सभी शिकायतों को क्लब करते हुए एक ही मुकदमें के रूप में सुना जाय। एन.एच.74 घोटाले में एस.आई.टी.ने 2011 करोड़ रुपये घोटाले की पुष्टि 2017 में की थी। जिसमें कई अधिकारी, कर्मचारी और किसान शामिल थे। जिन्होंने किसानों की कृषि योग्य भूमि को अकृषि दिखाकर यह कार्य किया। एक मार्च 2017 को तत्कालीन आयुक्त सेंथिल पांडियन ने घोटाले की आंशका जताई और जिलाधिकारी उधम सिंह नगर को जाँच के आदेश दिए। जाँच सही पाए जाने पर तत्कालीन ए.डी.एम.प्रताप साह ने पंतनगर के सिडकुल थाने में मुकदमा दर्ज किया। इनके अलावा कई लोगों के नाम सामने आए, उन्हें जेल भेज दिया गया। जबकि दो आई.ए.एस.अधिकारी भी निलंबित हुए। अभी एन.एच.74 घोटाले के आरोपी जमानत पर रिहा हैं।