क्या है पूरा मामला?
संजीव चतुर्वेदी का आरोप है कि कैबिनेट सचिव ने उनकी याचिका पर सुनवाई के दौरान झूठा शपथपत्र कोर्ट में दाखिल किया और मानहानिकारक टिप्पणी भी की। इसी आधार पर उन्होंने कोर्ट से आपराधिक कार्रवाई की अनुमति मांगी है।
दरअसल, फरवरी 2023 में कैट (CAT) ने आदेश दिया था कि कैबिनेट सचिव, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव, सीवीसी (CVC) और एम्स दिल्ली को वे दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे जो चतुर्वेदी ने एम्स में मुख्य सतर्कता अधिकारी (CVO) रहते हुए भ्रष्टाचार निरोधी जांच के दौरान जुटाए थे।
लेकिन इन आदेशों का पालन न करने पर कैट ने मई 2025 में अवमानना कार्रवाई शुरू की। इसके खिलाफ कैबिनेट सचिव और केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अवमानना की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की।
चतुर्वेदी की आपत्ति
कैबिनेट सचिव की याचिका में यह कहा गया कि चतुर्वेदी ने अपने सीवीओ कार्यकाल के दौरान “लापरवाही और कदाचार” किया और कथित भ्रष्टाचार मामलों को अपने बचाव में प्रस्तुत किया।
इसी टिप्पणी पर कड़ा एतराज जताते हुए चतुर्वेदी ने कोर्ट में सबूत के तौर पर मई 2014 की फाइल नोटिंग पेश की, जिसमें तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव लव वर्मा और मंत्रालय के तत्कालीन सीवीओ विश्वास मेहता ने उनके काम को उत्कृष्ट बताया था और उनकी निष्ठा एवं ईमानदारी की सराहना की थी।
क्यों बढ़ा विवाद?
संजीव चतुर्वेदी ने यह भी दलील दी कि वर्ष 2017 में दायर अपने अभ्यावेदन और कैट की याचिका में उन्होंने भ्रष्टाचार विरोधी मामलों का विस्तार से उल्लेख किया था। ऐसे में कैबिनेट सचिव की ओर से दायर याचिका में लगाए गए आरोप निराधार और दुर्भाग्यपूर्ण हैं।
अगली सुनवाई
हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई 16 सितंबर 2025 को करेगा। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि देश के सबसे ईमानदार अफसरों में गिने जाने वाले संजीव चतुर्वेदी और केंद्र सरकार के शीर्ष अफसरों के बीच यह कानूनी लड़ाई किस मोड़ पर पहुंचती है।
Discussion about this post