जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव के बाद सरकार की ओर से जोखिम के आकलन का कार्य जारी है। इसमें अभी तक 984 ऐसे भवनों को चिह्नित किया गया है, जिन पर छोटी-बड़ी दरारें हैं। इन भवनों को येलो कैटेगरी में रखा गया है। इन्हें रेट्रोफिटिंग (दोबारा रहने लायक बनाने) के लिए शासन ने कंपनी के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
इसके लिए सचिव आपदा प्रबंधन के स्तर पर चार सदस्यीय कमेटी भी बना दी गई है। जोशीमठ में इस वर्ष जनवरी माह की शुरुआत में ही भू-धंसाव शुरू हो गया था। उसके बाद कई दिनों तक यह सिलसिला चलता रहा। अब भी भवनों में दरारों की खबरें सामने आ रही हैं। शासन के सूत्रों की मानें तो जोशीमठ में पुनर्निर्माण के काम बरसात के बाद शुरू कर दिए जाएंगे।
इस दौरान सरकार वेट एंड वाच की स्थिति में रहेगी। जोशीमठ में भू-धंसाव के साथ ही पानी के स्रोत फूट पड़े थे, ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि शहर के नीचे पानी का एक चैनल बना हुआ है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि बरसात में जोशीमठ की जमीन में और भी परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं। बरसात के बाद काफी हद तक स्थिति साफ हो जाएगी।
जोशीमठ में पुनर्निर्माण के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (आईएमडीए) ने पोस्ट डिजास्टर नीड असेसमेंट (पीडीएनए) रिपोर्ट तैयार कराई थी। उस रिपोर्ट में सभी भवनों के नुकसान का आकलन कर क्षतिग्रस्त भवनों को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया था।
इनमें 984 भवन येलो श्रेणी में आए, जिनकी रेट्रोफिटिंग की जानी है। इसके लिए शासन की चार सदस्यीय कमेटी रेट्रोफिटिंग की डीपीआर तैयार करने के लिए विशेष फर्म का चयन कर रिपोर्ट शासन को सौंपेगी
इस संबंध में सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा की ओर से आदेश जारी किए गए हैं।
समिति में यूएसडीएमए के अधिशासी निदेशक डॉ. पीयूष रौतेला, यूएलएमएमसी के निदेशक डॉ. शांतनु सरकार, यूडीआरपीएएफ के अपर कार्यक्रम निदेशक एसके बिडला और वरिष्ठ आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ, यूएसडीएमए डॉ. गिरीश चंद्र जोशी को शामिल किया गया है।