उत्तराखंड के राज्य तथा जिला सहकारी बैंकों में साइबर सिक्योरिटी का काम तथा कोर बैकिंग का काम संभाल रही “मेगा शॉफ्ट कम्पनी द्वारा उत्तराखंड के बैंकों में भी गड़बड़ी करने की आशंका तेज हो गई है।
उत्तराखंड के सहकारी बैंकों में साइबर सिक्योरिटी सिस्टम व कोर बैकिंग का जिम्मा संभालने वाली “मेगा शॉफ्ट इनफॉरमेशन सिक्योरिटी सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड” हाल ही में उत्तर प्रदेश के कोऑपरेटिव बैंकों में 146 करोड रुपए हड़पने की साजिश से चर्चा में आ गई है।
यह कंपनी उत्तर प्रदेश की बसपा सरकार में एन एच आर एम घोटाले में ब्लैक लिस्ट की गई थी लेकिन इसके बावजूद इस कंपनी को न सिर्फ उत्तर प्रदेश के सहकारी बैंक मे काम दे दिया गया बल्कि उत्तराखंड में भी इस कंपनी को ही सिक्योरिटी सिस्टम तैयार करने का काम दिया गया।
ऐसा भी जानकारी में आया है बिना टेंडर किये ही इस कम्पनी को कार्य दे दिया गया
अहम सवाल यह है कि सिस्टम तैयार करने के लिए इस कंपनी को ढाई से तीन करोड़ रुपए का भुगतान भी किया जा चुका है।
उत्तराखंड के सहकारी बैंक का सिक्योरिटी सिस्टम अजीम प्रेमजी की विप्रो कंपनी कर रही है लेकिन अचानक इस कंपनी से काम वापस ले लिया गया। विप्रो कंपनी से काम छीनने और मेगा सॉफ्ट इंफॉर्मेशन कंपनी को दिए जाने का उत्तराखंड के सहकारी बैंक यूनियन ने भी विरोध किया था। यहां तक कि बैंक यूनयन ने हड़तालें भी की थी लेकिन भाजपा सरकार तथा विभागीय मंत्री और अधिकारियों ने यूनियन की एक नहीं सुनी।
उत्तर प्रदेश में 146 करोड़ की धोखाधड़ी के मामले में पुलिस ने साइबर विशेषज्ञ सतीश और कुछ अन्य को भी गिरफ्तार कर लिया है। इस पर ₹25000 का इनाम घोषित किया गया था।
इस घोटाले में 2 जीएम समेत 10 लोगों को निलंबित किया जा चुका है। उत्तराखंड में भी इस कंपनी को तीन करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। इस बात का अंदेशा लगाया जा रहा है कि यह ब्लैक लिस्ट कंपनी उत्तराखंड के बैंकों में भी इसी तरह का घोटाला कर सकती है।
यह कंपनी बैंक के रिटायर कर्मचारी और अन्य फर्मों के खातों से सांठगांठ करके लगातार बड़ी मात्रा में धनराशि बैंक से स्थानांतरित करती थी फिर आनन-फानन में जैसे ही मामला पकड़ में आया वैसे ही जिन खातों में पैसा ट्रांसफर हुआ था उन खातों को होल्ड कर दिया गया।
सिस्टम से छेड़छाड़ और करोड़ों रुपए की हेराफेरी के बाद भी साइबर सिक्योरिटी सिस्टम ने बैंक को अलर्ट नहीं दिया था। उससे इस कंपनी यह साइबर सिक्योरिटी सिस्टम पर भी सवाल खड़ा होता है।
उत्तराखंड में भी विप्रो से साइबर सिक्योरिटी का काम वापस लेने के बाद जब मेगा शॉप इंफॉर्मेशन कंपनी को काम दिया जाना था। तब भी कई अधिकारियों और बैंक कर्मचारियों ने विरोध किया था, लेकिन उनको डरा धमका कर चुप कर दिया गया अथवा उनका ट्रांसफर कर दिया गया।
अहम सवाल यह है कि जब यह कंपनी एनएचआरएम घोटाले में ब्लैक लिस्ट कर दी गई थी तो फिर इसे उत्तराखंड में काम दिए जाने का क्या तुक बनता था और अब इस कंपनी द्वारा उत्तर प्रदेश के सहकारी बैंकों में 146 करोड रुपए की धोखाधड़ी में पकड़े जाने के बाद इस बात की आशंका बलवती हो गई है कि इसे काम देने पर उत्तराखंड में भी ऐसे ही धोखाधड़ी के मामले हो सकते है, लिहाजा इस पर जांच कराए जाने की तत्काल जरूरत आन पड़ी है।