देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में प्रस्तावित मेट्रो परियोजना की जमीन पर पार्क बनाए जाने की योजना पर राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने गंभीर आपत्ति जताई है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल ने इसे मेट्रो की जमीन को खुर्द-बुर्द करने की साजिश करार दिया है और इस पूरी प्रक्रिया की स्पेशल ऑडिट और जांच की मांग की है।
शिवप्रसाद सेमवाल ने प्रेस को जानकारी देते हुए कहा कि आईएसबीटी के पास जिस भूमि को मेट्रो परियोजना के लिए आरक्षित किया गया था, उस पर अब तक लगभग 90 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। इसके बावजूद, न तो वहां एक पत्थर रखा गया है और न ही मेट्रो से संबंधित कोई बोर्ड या चिन्ह लगाया गया है। इसके उलट, अब उसी जमीन पर करोड़ों रुपये की लागत से पार्क बनाए जाने की तैयारियां चल रही हैं।
उन्होंने दावा किया कि लगभग ₹2300 करोड़ की मेट्रो रेल परियोजना अब अंतिम सांसें गिन रही है। उन्होंने यह भी बताया कि उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन में दो प्रबंध निदेशक—जितेंद्र त्यागी और बृजेश मिश्रा—बिना किसी विशेष प्रगति के अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं, और अब तीसरे प्रबंध निदेशक की नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है। लेकिन इसके बावजूद, जमीन पर कोई ठोस कार्य शुरू नहीं हो पाया है।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों पर भी उठाए सवाल
शिवप्रसाद सेमवाल ने बताया कि हाल ही में धर्मपुर विधायक विनोद चमोली, देहरादून मेयर सौरभ थपलियाल, और एमडीडीए एचआईजी हाउसिंग सोसाइटी के अध्यक्ष देशराज कर्णवाल द्वारा आईएसबीटी के पास स्थित उक्त भूमि पर पार्क निर्माण की योजना बनाई जा रही है।
सेमवाल ने यह भी आरोप लगाया कि एमडीडीए हाउसिंग सोसाइटी के अध्यक्ष देशराज कर्णवाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस भूमि पर पार्क निर्माण की अनुशंसा की है। उन्होंने पत्र में यह तर्क दिया है कि चूंकि अब दिल्ली से देहरादून की दूरी ढाई घंटे में तय होगी, इसलिए आईएसबीटी के निकट पार्क बनने से क्षेत्र की छवि बेहतर बनेगी।
“मेट्रो स्टेशन के वादे पर बेचे गए फ्लैट, अब लोग महसूस कर रहे हैं ठगी”
सेमवाल ने सवाल उठाते हुए कहा कि वर्ष 2017 में जब एमडीडीए ने इस क्षेत्र में आवासीय परियोजना शुरू की थी, तब ग्राहकों को यह वादा किया गया था कि यहां मेट्रो स्टेशन बनेगा और आवासीय सोसाइटी मेट्रो से जुड़ी होगी। ऐसे वादों के आधार पर लोगों ने यहां पर फ्लैट खरीदे, लेकिन अब वे खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं क्योंकि मेट्रो परियोजना का कोई अस्तित्व जमीन पर नजर नहीं आ रहा है।
स्पेशल ऑडिट और जांच की मांग
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के अध्यक्ष ने सरकार से 90 करोड़ रुपये के खर्च का स्पेशल ऑडिट कराए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि आखिर यह धनराशि कहां खर्च हुई और मेट्रो परियोजना की असली स्थिति क्या है।
इसके अलावा उन्होंने यह भी जानना चाहा कि मेट्रो के लिए आरक्षित भूमि पर पार्क बनाए जाने के पीछे किसकी मंशा है और क्या इस बहाने से भूमि को निजी हितों के लिए उपयोग करने की योजना बनाई जा रही है?
मेट्रो ऑफिस शॉपिंग मॉल में, ज़मीन पर नहीं रखा एक भी पत्थर
शिवप्रसाद सेमवाल ने यह भी खुलासा किया कि मेट्रो परियोजना के नाम पर एक शॉपिंग मॉल में आलीशान कार्यालय बनाया गया है, जिस पर भी भारी खर्च किया गया है। लेकिन जिस जमीन पर असली प्रोजेक्ट खड़ा होना था, वहां न तो एक ईंट रखी गई है और न ही कोई निर्माण कार्य शुरू हुआ है।
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने स्पष्ट किया कि वह इस मामले को लेकर गंभीर है और यदि आवश्यक हुआ तो इसके लिए जन आंदोलन की शुरुआत भी की जाएगी। पार्टी ने मेट्रो परियोजना को पुनर्जीवित करने, ज़मीन की उपयोगिता की पारदर्शी जांच, और जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की मांग की है।
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