अल्मोड़ा। जिला अल्मोड़ा के सामाजिक कार्यकर्ता संजय पाण्डे ने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि जिस हेल्पलाइन को जनता की समस्याओं का त्वरित और पारदर्शी समाधान देने के लिए शुरू किया गया था, वह अब महज़ एक कागज़ी औपचारिकता बनकर रह गई है।
शिकायतों का समाधान नहीं, सीधे “स्पेशल क्लोज़”
संजय पाण्डे ने आरोप लगाया कि शिकायतों का निस्तारण करने के बजाय अधिकारी मनमाने ढंग से उन्हें “स्पेशल क्लोज़” कर देते हैं।
उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि—
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राज्यपाल के अनु सचिव द्वारा L4 स्तर पर भेजी गई शिकायत को L3 स्तर के अधिकारी ने बिना किसी कार्रवाई के स्पेशल क्लोज़ कर दिया।
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मुख्यमंत्री कार्यालय से भेजी गई दो शिकायतें भी इसी तरह ठंडे बस्ते में डाल दी गईं।
दो साल से लंबित शिकायतें
पाण्डे ने बताया कि उनकी कई शिकायतें वर्षों से लंबित हैं, लेकिन जिलाधिकारी स्तर पर कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई।
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CHML 0820238432564 (24 अगस्त 2023)
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CHML 0920238448554 (26 सितम्बर 2023)
दोनों शिकायतें पिछले दो साल से लंबित हैं। वहीं,
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CHML 032025870316 (8 मार्च 2025)
की शिकायत का भी अब तक कोई समाधान नहीं हो पाया है।
चुनिंदा शिकायतें ही सुनी जाती हैं
सामाजिक कार्यकर्ता का आरोप है कि मुख्यमंत्री केवल चुनिंदा लोगों की शिकायतें सुनते हैं, जबकि आम जनता की समस्याओं को लगातार नज़रअंदाज़ किया जा रहा है। जिले के अधिकारी हेल्पलाइन की नियमित समीक्षा तक नहीं कर रहे हैं, जिससे लोगों में नाराज़गी बढ़ती जा रही है।
सरकार की साख पर उठे सवाल
पाण्डे ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि हेल्पलाइन प्रणाली की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और दोषी अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो जनता का भरोसा सरकार से उठ जाएगा और यह सीधे-सीधे सरकार की साख पर सवाल होगा।
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