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नैनीताल, नैनीताल जिले के मुख्य कोषाधिकारी दिनेश राणा और कोषागार के लेखाकार बसंत जोशी को रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के बाद अब उनकी जमानत याचिका पर उत्तराखंड हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है। इस मामले में न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ ने सोमवार को सुनवाई करते हुए आरोपी दिनेश राणा को कोई अंतरिम राहत नहीं दी है। अगली सुनवाई 8 जुलाई को निर्धारित की गई है।
क्या ट्रैप से पहले जांच जरूरी? कोर्ट का अहम सवाल
इस केस में कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण विधिक प्रश्न उठाया है –
“क्या भ्रष्टाचार के मामलों में ट्रैप करने से पहले संबंधित शिकायत की जांच करना अनिवार्य है?”
यह पहला मौका है जब उत्तराखंड के किसी कोर्ट में इस कानूनी बिंदु पर गंभीरता से चर्चा हो रही है। अब तक न तो सरकार और न ही किसी आरोपी पक्ष ने इस मुद्दे को अदालत में स्पष्ट रूप से उठाया था। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पिछले 25 वर्षों से भ्रष्टाचार के मामलों में यह पहलू अनदेखा किया गया है।
क्या है पूरा मामला?
9 मई 2025 को विजिलेंस टीम ने मुख्य कोषाधिकारी दिनेश राणा और लेखाकार बसंत जोशी को रंगे हाथ रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। आरोप था कि सरकारी कामों के भुगतान की फाइल पास कराने के बदले में पैसे मांगे जा रहे थे।
सरकारी पक्ष ने कोर्ट में बताया कि जांच के दौरान जिन नोटों पर रिश्वत दी गई, उन पर दोनों अधिकारियों के उंगलियों के निशान पाए गए। पुष्टि के लिए आरोपियों के हाथ सोडियम कार्बोनेट घोल में धुलवाए गए, जिससे पानी का रंग गुलाबी हो गया। इससे यह प्रमाणित हुआ कि उन्होंने रिश्वत की राशि को छुआ था।
याचिकाकर्ता बोले- झूठा फंसाया गया
वहीं, बचाव पक्ष का कहना है कि उन्हें झूठा फंसाया गया है और उन्हें किसी राजनीतिक या आंतरिक दबाव के चलते बलि का बकरा बनाया गया है। उन्होंने कोर्ट से जमानत की गुहार लगाई है।
अगली सुनवाई पर टिकी निगाहें
अब सभी की नजरें 8 जुलाई को होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां अदालत इस महत्वपूर्ण विधिक प्रश्न के साथ-साथ जमानत पर अंतिम निर्णय ले सकती है।
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