पंचायती चुनाव में आंदोलनकारी परिवार की एंट्री से गरमाई राजनीति,खीड़ा-तड़गताल बनी हॉट सीट पति-पत्नी की जोड़ी मैदान में संघर्ष और सेवा को मिल रहा भारी जनसमर्थन
संवाददाता उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट, चौखुटिया (अल्मोड़ा):
उत्तराखंड में पंचायती चुनावों का माहौल गरमा चुका है, और जैसे-जैसे प्रथम चरण की वोटिंग (24 जुलाई) नज़दीक आ रही है, जनपद अल्मोड़ा की खीड़ा-तड़गताल जिला पंचायत सीट पर सबकी नजरें टिक गई हैं।
इस सीट को “हॉट सीट” का दर्जा दिला रही है एक ऐसी संघर्षशील आंदोलनकारी जोड़ी, जिनके सामाजिक योगदान की गूंज अब गांव-गांव तक सुनाई दे रही है।
पूर्व सैनिक भुवन कठायत ग्राम प्रधान पद के प्रत्याशी हैं, जबकि उनकी धर्मपत्नी गीता कठायत जिला पंचायत सदस्य पद के लिए मैदान में हैं। यह जोड़ी केवल चुनाव नहीं लड़ रही, बल्कि जनता के दिलों में विश्वास और संघर्ष की इबारत भी लिख रही है।
संघर्ष की पृष्ठभूमि:
भुवन कठायत का नाम राज्य के प्रमुख आंदोलनों से जुड़ा रहा है।
भू-कानून और मूल निवास जैसे मुद्दों पर राज्यव्यापी आंदोलन में अग्रणी भूमिका।
मंत्री प्रेम चंद्र अग्रवाल द्वारा पहाड़ी समाज के अपमान के विरोध में गैरसैंण में भूख हड़ताल।
गोदी चौराहे से खिड़ा खड़गताल सड़क निर्माण हेतु लंबा संघर्ष और आमरण अनशन।
हर मोर्चे पर उनके साथ खड़ी रही गीता कठायत न केवल समर्थन में, बल्कि कई बार खुद धरने पर बैठकर उन्होंने यह सिद्ध किया कि यह केवल दंपत्ति नहीं, बल्कि एक समर्पित जनआंदोलन है।
जनता से सीधा संवाद
भुवन कठायत (ग्राम प्रधान प्रत्याशी):
“हमने अपनी ज़िंदगी संघर्ष और सेवा को समर्पित की है। यह चुनाव सत्ता का नहीं, व्यवस्था बदलने का माध्यम है। गांव की प्राथमिकता वही जान सकता है, जिसने हर मोर्चे पर गांव के लिए लड़ा हो।”
गीता कठायत (जिला पंचायत प्रत्याशी):
“हमने सड़को से लेकर सचिवालय तक आवाज़ मिलकर उठाई है। अब गांव और ज़िले को जवाबदेह और जनहितैषी पंचायत देना हम पति पत्नी का संकल्प है,यह चुनाव सिर्फ हमारा नहीं, पूरे आंदोलनकारी समुदाय के लिए जीत का इतिहास रचेगा।”
जनता के बीच विश्वास
क्षेत्र में यह चर्चा आम है कि ये प्रत्याशी सिर्फ चुनावी वादे नहीं करते, ज़मीन पर काम करने वाले चेहरे हैं। यही कारण है कि हर पीढ़ी युवा से बुजुर्ग तक – इन दोनों को एक नई उम्मीद के रूप में देख रही है।
निष्कर्ष
खीड़ा-तड़गताल की जनता इस बार विकास और संघर्ष के मेल को चुनने के मूड में है। यदि यह जोड़ी विजयी होती है, तो यह केवल एक जीत नहीं, बल्कि सिस्टम के खिलाफ ईमानदार आंदोलन की स्वीकृति होगी।
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