रिपोर्ट : कार्तिक उपाध्याय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी के चुने सभी सांसदों को आवाहन किया था,कि वह मूलभूत व्यवस्थाओं से दूर बसे गांवों को गोद लें और वहां पर सबसे अधिक विकास कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध रहें।
बात करें नैनीताल ऊधम सिंह नगर लोकसभा की तो सांसद अजय भट्ट ने भी कुछ गांव को गोद लिया,जिनमें से एक गांव जंगलिया गांव भी है परंतु वहां पर जाने के बाद लगता है सांसद अजय भट्ट द्वारा सिर्फ गांव को गोद लिया गया उसके बाद वह दूध पानी खाना खिलाना भूल गए।
जब स्थानियों से बात करी तो पता चला एक बार भी सांसद अपने गोद लिए हुए गांव में आज तक नहीं पहुंचे और ना ही वहां के हालात बदल सके।
बात अगर सड़क की करें तो आज भी जंगलिया गांव की सड़क टूटी ही है ना ही डामरीकरण हुआ और जंगलिया गांव के एक तोक बूड़ा धूरा कि अगर बात करें 20 वर्ष पहले इस तोक की सड़क कट गई थी परंतु आज तक उसमें एक बार भी डामरीकरण नहीं हो सका है।
बात यदि शिक्षा की करें तो जंगलिया गांव के रहने वाले बच्चे आज भी मजबूर है कि वह आर्ट साइड से ही पढ़ाई करें,क्योंकि आज भी वहां के स्कूल में कॉमर्स और विज्ञान की कक्षाएं संचालित नहीं हो सकी है और ना ही पहाड़ आर्थिक रूप से इतना संपन्न है कि प्रतिदिन ढाई सौ रुपए खर्च कर वह विज्ञान अथवा कॉमर्स की शिक्षा ग्रहण करने गांव से दूर स्थित विद्यालयों में पहुंचे।
बात अगर स्वास्थ्य की करें तो सिर्फ एक एएनएम सेंटर है उसके अलावा कुछ भी नहीं,आज भी जंगलियागांव के कई तोक ऐसे हैं जहां से जीवित व्यक्ति को भी मृत व्यक्ति की तरह कंधे पर लाकर भीमताल या फिर हल्द्वानी अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचाया जाता है।
सवाल यह है कि लोकसभा चुनाव तो आ गए हैं जिस गोद लिए गांव में आज तक सांसद अजय भट्ट नहीं पहुंचे अब भाजपा के पुनः प्रत्याशी घोषित करने के बाद क्या वह इस गांव में वोट मांगने पहुंचेंगे।
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