ब्यूरो न्यूज़ उत्तराखंड ब्रॉडकास्ट
उत्तराखंड में वर्तमान के मुख्यमंत्री को युवा नेतृत्व कहकर भाजपा द्वारा कुर्सी चुनाव में हार जाने के बाद भी सौंप दी थी,लेकिन धामी जी का दुर्भाग्य हैं की समय समय पर उन्हें सीधा युवाओं से टकराना पड़ता हैं उसमें सीधी गलती सीएम धामी की नहीं हैं बल्कि आज तक जो भी इन उच्च कुर्सियों में रहा उसने भविष्य के मुख्यमंत्रियों के लिए उत्तराखंड के युवाओं के विरोध का ऐसा चक्रव्यूह रचा हैं जिसको भेदना भाजपा या कांग्रेस या अबतक के अन्य नेताओं के लिए बिल्कुल आसान नहीं,इसके लिए नए सिरे से प्रदेश के भीतर राजनीति की शुरुआत करनी होगी तभी यह संभव हैं।
सीएम धामी को पिछले वर्ष युवाओं का सरकारी नौकरी में हुए घोटालों की उत्तराखंड बेरोजगार संघ द्वारा किताब खोलने के बाद सबसे अधिक विरोध झेलना पड़ा था,प्रदेश भर के हजारों शिक्षित युवा देहरादून में मुख्यमंत्री का विरोध कर रहें थे और यह तो इतिहास हैं की जा भी जागरूक युवाओं ने आंदोलन किया हैं वहां से अच्छे नेता जरूर निकलें हैं आंदोलन से निकलें नेता किसी भी राज्य की राजनीति के लिए शुभ संकेत होता हैं,उत्तराखंड के युवा जो आंदोलन कर रहें थे वह समझ चुके की बिना राजनीति में प्रवेश किए उनके लिए नीतियों का निर्माण नहीं हो सकता आंदोलन का प्रतिनिधित्व कर रहें 26 वर्षीय युवा बॉबी पंवार को शिक्षित और आंदोलनकारी युवाओं ने टिहरी के लोकसभा चुनाव में उतारकर राष्ट्रीय पार्टियों सहित सरकार को चुनौती दे दी की यदि राज्य की राजनीति और सरकार में बैठे लोगों द्वारा उत्तराखंड के युवाओं की मांगों पर अमल नहीं किया गया तो वह उनके सामने चुनाव में सवाल करेंगे,बॉबी पंवार को कम समय में अच्छा चुनाव लड़ाकर अपनी राजनीतिक सकारतक सोच और ऊर्जा का परिचय दिया अच्छा मत लोकसभा चुनाव में संसाधनों वाले प्रत्याशियों के सामने युवा बॉबी ने हासिल किया।
इधर कुमाऊं से बॉबी को चुनाव लड़ाने पहुंचे बेरोजगार संघ के कुमाऊं संयोजक भूपेंद्र कोरंगा ने करीब से चुनाव अभियान को देखा और राजनीति में चुनाव प्रचार और समय को कीमत को समझा और अब सीएम धामी की लाठियों का बदला लेने के लिए गांव से शुरुआत में लग गए,भूपेंद्र इन दिनों अपने जिला पंचायत के दूरस्थ दुर्गम इलाकों में लोगों के साथ बैठक कर रहें हैं सीधा बता रहें हैं की वह आगामी चुनाव के जनता के बीच में एक प्रत्याशी कर रूप में आएंगे।
इन युवाओं के पास एक पूरा खाका हैं और सच यह हैं की इन युवाओं ने एक ऐसी टीम अपनी बना ली हैं की यह बदलाव के लिए हर टकराव से लड़ने को तैयार हैं और इन युवाओं में इतनी ऊर्जा और किसी ने नहीं बल्कि अबतक सत्ता के बैठे नेताओं के कारनामें और वर्तमान में सत्ता में बैठे नेताओं की लाठियों और अनदेखी ने बनाया है,इसमें कोई दो राय नहीं समाज का प्रत्येक नागरिक राजनीति से प्रत्यक्ष प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा होता हैं भूपेंद्र भी इन दिनों उन्ही लोगो के बीच रह रहें हैं।
वह लगातार अपने क्षेत्र के आपदाग्रस्त गांवों में पहुंच रहें हैं समस्या सोशल मीडिया और अन्य माध्यम से उजागर कर रहें हैं अधिकारियों से मुलाकात कर रहें हैं कुल मिलाकर वह सब कर रहें हैं जो एक जनप्रतिनिधि को करना होता हैं वहीं दूसरी तरफ चुने जनप्रतिनिधि राज्य के नदारद रहते हैं वह अब अगले चुनाव ने सामने जनता को नजर आएंगे ये जनता जानती हैं।
राज्य में युवाओं की सीधे सही उम्र के राजनीति को समझकर यह प्रवेश गांव से करना कहीं ना कहीं उत्तराखंड की राजनीति के लिए शुभ संकेत माना जा सकता हैं युवाओं का राज्य की राजनीति में प्रवेश विकास की एक नई पटकथा लिखेगा यह वर्तमान हालात देखकर लग रहा हैं।
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