उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर किए गए अतिक्रमण के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पूर्व में रेलवे द्वारा दिये गए पत्र पर जिला प्रशासन ने क्या कार्यवही की ?
खण्डपीठ ने कहा कि इस पत्र के आधार पर दोनों सँयुक्त बैठक करें और जिला प्रसाशन और रेलवे बोर्ड अतिक्रमण हटाने को लेकर निर्णय लें और इसकी रिपोर्ट 6 अप्रैल तक न्यायालय में पेश करें ।
आपको बता दे कि, हल्द्वानी निवासी सामाजिक कार्यकर्ता रवि शंकर जोशी की जनहित याचिका पर आज सुनवाई हुई
। मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आर.सी.खुल्बे की खण्डपीठ ने कहा कि जिला प्रशासन ने पूर्व में रेलवे द्वारा दिये गए पत्र पर क्या कार्यवही की है ? न्यायालय ने निर्देशित किया है कि इस पत्र के आधार पर दोनों सँयुक्त बैठक करें और जिला प्रसाशन और रेलवे बोर्ड अतिक्रमण हटाने के लिए कोई निर्णय लें।
मीडिया के अनुसार, 9 नवम्बर 2016 को उच्च न्यायालय ने रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 10 हफ्तों के भीतर रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। न्यायालय ने कहा था कि जितने भी अतिक्रमणकारी हैं उनको रेलवे पी.पी.एक्ट के तहत नोटिस देकर जनसुवाईयाँ करें।
आपको बता दे कि रेलवे की तरफ से कहा गया कि हल्द्वानी में रेलवे की 29 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण किया गया है, जिसमें से लगभग 4365 लोग मौजूद है।
न्यायालय के आदेश पर इन लोगो को पी.पी.एक्ट में नोटिस दिया गया है। जिनकी रेलवे ने पूरी सुनवाई कर ली है। किसी भी व्यक्ति के पास जमीन के वैध कागजात नहीं पाए गए। इनको हटाने के लिए रेलवे ने जिलाधिकारी नैनीताल से दो बार सुरक्षा दिलाए जाने के लिए पत्र दिया, जिसपर आज की तिथि तक कोई प्रतिउत्तर नही मिला।
जबकि दिसम्बर 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को दिशानिर्देश दिए थे कि अगर रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण किया गया है तो पटरी के आसपास रहने वाले लोगो को दो सप्ताह और उसके बाहर रहने वाले लोगो को 6 सप्ताह के भीतर नोटिस देकर हटाएं, ताकि रेवले का विस्तार हो सके।
आपको बता दे कि इन लोगो को राज्य में कहीं भी बसाने की जिमेदारी जिला प्रशासन और राज्य सरकारों की होगी। अगर इनके सभी पेपर वैध पाए गए हैं, तो राज्य सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इनको आवास मुहैया कराए।