कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर है। कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु की मांग तेज हो गई है। सेवानिवृत्ति आयु की वृद्धि के प्रस्ताव राज्य द्वारा अस्वीकार किए जाने पर आपत्ति जताते हुए हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश के प्रस्ताव में एक नए निर्णय के मामले में राज्य सरकार को प्रस्ताव वापस भेजा गया है।
सेवानिवृत्ति आयु को 56 से बढ़ाकर 58 वर्ष करने के प्रस्ताव–
दरअसल केरल में कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु को 56 से बढ़ाकर 58 वर्ष करने के प्रस्ताव तैयार किए गए थे। राज्य द्वारा इसे अस्वीकार कर दिया गया था। जिस पर आपत्ति जताते हुए केरल हाई कोर्ट ने गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश के प्रस्ताव पर एक नए निर्णय के लिए इसे राज्य सरकार को वापस भेजा है ।जिसमें कहा गया कि मेधावी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु में वृद्धि एक बार फिर से विचार किया जाए।
उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल 25 अक्टूबर 2022 को मुख्य न्यायाधीश के प्रस्ताव को उच्च न्यायालय के कर्मचारियों के सदस्यों की सेवानिवृत्ति आयु को 56 वर्ष से बढ़ाकर 58 वर्ष करने का प्रस्ताव भेजा था। 24 सितंबर 2022 को राज्य के मुख्य न्यायाधीश और मुख्यमंत्री के बीच उच्च स्तरीय बैठक के बाद प्रस्ताव भेजा गया था।
सरकार की दलील-
इस मामले में सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने फरवरी में हाईकोर्ट को इस मामले में जवाब भेजा था। HC के प्रस्ताव को स्वीकार करने में असमर्थता के बारे में सूचित करते हुए कहा गया कि उच्च न्यायालय के कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु सरकारी कर्मचारियों के बराबर तय की गई थी
वही राज्य ने कहा कि सरकारी सेवकों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने के लिए कोई निर्णय नहीं लिया गया है। इसलिए सरकार मुख्य न्यायाधीश के प्रस्ताव पर अनुकूल रूप से विचार नहीं कर पाएगी।
HC के निर्देश–
इस मामले में हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति मोहम्मद मुस्ताक और न्यायमूर्ति सोफी टॉमस की खंडपीठ ने विचार करते हुए कहा है कि मुख्य न्यायाधीश के अनुरोध का केवल रिटायरमेंट के संबंध में कानून के उपयोग संशोधन शुरू करने के लिए अनुकूल विचार के प्रस्ताव के रूप में माना जा सकता है।
वहीं रिटायरमेंट आयु से संबंधित कानून में संशोधन के लिए कदम उठाने के सरकार को निर्देश देना हमारी शक्ति से पढ़े हैं लेकिन सरकार द्वारा सेवानिवृत्ति आयु में कर्मचारियों का हवाला देकर सीधे तौर पर प्रस्ताव को खारिज नहीं किया जा सकता है।
अदालत ने स्पष्ट किया है कि जब हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रस्ताव भेजते हैं तो इस विषय से जुड़े पहलुओं पर उच्च स्तर के विचार विमर्श और विचार की अपेक्षा की जाती है। राज्य के विभिन्न संस्थानों को संस्थान के व्यापक हित में सर्वोत्तम हासिल करने के प्रयासों में समन्वित किया जाना आवश्यक है।
मामले में अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 229 का अवलोकन किया है। इस मामले में कहा है कि प्रावधान उच्च न्यायालय के अधिकारी और सेवकों की नियुक्ति के मामले में मुख्य न्यायाधीश की प्रधानता देता है। ऐसे में कर्मचारियों की सेवा शर्त सरकार द्वारा बनाए गए कानून राज्य विधान मंडल के अधीन आते हैं।
सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने की सिफारिश-
वहीं अदालत ने पाया है कि मुख्य न्यायाधीश द्वारा गठित उपसमिति ने इस मामले में विस्तार से विचार किया है और मेघावी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने की सिफारिश की है। अदालत ने कहा है कि मेधावी कर्मचारियों को वृद्धि का सुझाव देने का विचार संस्थान के प्रशासन के सर्वोत्तम हित में होगा।
वही हाई कोर्ट ने रिट याचिकाओं का निपटारा करते हुए कहा है कि तर्क के आधार पर राज्य के व्यापक इसमें विचार के दौरान प्रस्ताव को हटा दिया गया है। हम एक बार फिर से 56 वर्ष की आयु से परे मेघावी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए सरकार के पास वापस भेज रहे हैं। आशा करते हैं कि कुल मिलाकर सरकार जल्द से जल्द इस प्रस्ताव पर विचार करेगी।