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इस गौरवपूर्ण उपलब्धि पर एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज और श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के चेयरमैन श्रीमहंत देवेंद्र दास जी महाराज ने सभी शोधार्थियों और उनके मार्गदर्शकों को आशीर्वाद और शुभकामनाएं दी हैं।
डॉ. नताशा बडेजा का शोध – एंटीबायोटिक प्रतिरोध पर बड़ा अध्ययन
डॉ. नताशा बडेजा ने “इवेल्यूएशन ऑफ कॉलिस्टिन रेजिस्टेंस एंड डिटेक्शन ऑफ MCR-1 जीन इन मल्टी-ड्रग रेजिस्टेंट ग्राम-नेगेटिव क्लीनिकल आइसोलेट्स एट टर्शरी केयर हॉस्पिटल इन उत्तराखंड” विषय पर शोध किया है। यह शोध एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज और श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की प्रोफेसर एवं सेंट्रल लैब डायरेक्टर डॉ. डिंपल रैणा के मार्गदर्शन में किया जा रहा है।
डॉ. डिंपल रैणा के अनुसार, यह शोध एंटीबायोटिक प्रतिरोध की गंभीर समस्या को समझने में मदद करेगा। कॉलिस्टिन जैसी उच्च-स्तरीय एंटीबायोटिक्स उन रोगियों को दी जाती हैं जिन पर सामान्य एंटीबायोटिक्स काम नहीं करतीं। लेकिन अब इन दवाओं के प्रति भी बैक्टीरिया की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ रही है, जिससे गंभीर मरीजों के इलाज के विकल्प सीमित होते जा रहे हैं।
डॉ. नताशा का शोध इस दिशा में उम्मीद की एक नई किरण बन सकता है, क्योंकि यह अध्ययन करेगा कि कॉलिस्टिन जैसी जीवनरक्षक एंटीबायोटिक्स अभी भी कितनी प्रभावी हैं और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले जीन की भूमिका क्या है।
डॉ. सौरभ नेगी का शोध – मल्टी-ड्रग रेजिस्टेंट टी.बी. पर प्रभावी अध्ययन
डॉ. सौरभ नेगी का शोध कार्य एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी प्रोफेसर डॉ. ईवा चंदोला के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। यह शोध मल्टी-ड्रग रेजिस्टेंट ट्यूबरक्यूलोसिस (टी.बी.) पर केंद्रित है।
डॉ. ईवा चंदोला के अनुसार, टी.बी. के उपचार में सबसे बड़ी चुनौती उन रोगाणुओं की पहचान करना है जो दी जाने वाली दवाइयों के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर लेते हैं, जिससे इलाज बेअसर हो जाता है। डॉ. सौरभ का यह शोध उन विशिष्ट जीन की पहचान करेगा, जो टी.बी. के इलाज को प्रभावित करते हैं।
इस शोध के परिणाम भविष्य में टी.बी. के प्रभावी उपचार के लिए नई रणनीतियां विकसित करने में सहायक सिद्ध होंगे और डॉक्टरों को बेहतर निर्णय लेने में मदद करेंगे।
120 में से सिर्फ दो – एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज की बड़ी उपलब्धि
डॉ. डिंपल रैणा ने बताया कि पूरे भारत में सिर्फ 120 पीजी डॉक्टरों को ही यह ICMR छात्रवृत्ति मिलती है, और उनमें एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज के दो छात्र शामिल हैं। यह कॉलेज और उत्तराखंड राज्य के लिए गौरव का विषय है।
इस उपलब्धि पर पूरे संस्थान में हर्ष का माहौल है, और यह न केवल एसजीआरआर मेडिकल कॉलेज के लिए, बल्कि उत्तराखंड के मेडिकल क्षेत्र के लिए भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।