शिक्षा माफियाओं पर जिला प्रशासन की सख्ती, निजी स्कूलों की मनमानी पर लगी लगाम
एन मेरी स्कूल ने घटाई फीस, 10% की दी अंडरटेकिंग, पहले की थी 30% बढ़ोतरी
देहरादून – मा0 मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिला प्रशासन ने निजी स्कूलों की मनमानी पर नकेल कस दी है। जिले में पहली बार शिक्षा के व्यवसायीकरण पर सख्त कार्रवाई करते हुए प्रशासन ने निजी स्कूलों को अपने शुल्क ढांचे की समीक्षा करने के लिए बाध्य किया। जिला प्रशासन की कड़ी कार्रवाई के चलते एन मेरी स्कूल को अपनी बढ़ाई गई फीस को 10% तक सीमित करने की अंडरटेकिंग देनी पड़ी, जबकि इससे पहले स्कूल ने 30% फीस बढ़ा दी थी।
शिकायतों के बाद प्रशासन ने ली सख्त मुद्रा
जिले में लगातार बढ़ रही फीस वृद्धि और अभिभावकों की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी सविन बंसल ने निजी स्कूलों की कुंडली खंगालनी शुरू कर दी। प्रशासन की सख्ती के चलते कई बड़े निजी स्कूल बैकफुट पर आ गए हैं। डीएम की कोर टीम स्कूलों पर पैनी नजर बनाए हुए है और स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि यदि नियमों का उल्लंघन किया गया तो संबंधित स्कूल का लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा और ताला जड़ दिया जाएगा।
फीस वृद्धि पर सख्ती, शिक्षा के व्यवसायीकरण पर रोक
मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में सभी निजी स्कूलों के प्रधानाचार्यों और प्रबंधकों के साथ बैठक की गई, जिसमें उन्हें स्पष्ट निर्देश दिए गए कि शासनादेश के अनुसार किसी भी स्कूल को तीन वर्षों में अधिकतम 10% से अधिक शुल्क वृद्धि की अनुमति नहीं होगी। इसके अलावा, प्रशासन ने यह भी सुनिश्चित किया है कि –
- पाठ्य-पुस्तकें खुले बाजार में सुलभ हों और अनावश्यक सामग्री थोपने पर रोक लगे।
- उत्तर पुस्तिकाओं पर स्कूल का नाम मुद्रित करने की अनिवार्यता समाप्त हो, ताकि अभिभावक अपनी सुविधा अनुसार इन्हें खरीद सकें।
- सभी स्कूल अपने छात्र गणवेश की जानकारी अपनी वेबसाइट पर डालें, जिससे यह किसी भी विक्रेता के पास उचित मूल्य पर उपलब्ध हो।
कई बड़े निजी स्कूल प्रशासन के रडार पर
जिला प्रशासन की सख्ती के चलते अन्य बड़े निजी स्कूल भी प्रशासन की निगरानी में आ गए हैं। एन मैरी स्कूल, जीएमएस रोड को निर्देशित किया गया है कि छात्रों से लिए गए अतिरिक्त शुल्क को आगामी माह की फीस में समायोजित किया जाए।
इसके अलावा, समर वैली स्कूल को निर्देश दिया गया कि कक्षा-9 की फीस वृद्धि को 6% से अधिक न किया जाए और पाठ्य-पुस्तकों एवं छात्र गणवेश की सूची अपनी वेबसाइट पर अनिवार्य रूप से प्रकाशित की जाए। सेंट जोसेफ स्कूल को भी निर्देशित किया गया है कि तीन वर्षों में अधिकतम 10% से अधिक शुल्क वृद्धि नहीं की जाएगी।
नियम न मानने पर होगी कड़ी कार्रवाई
जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई भी स्कूल निर्धारित मानकों से अधिक शुल्क वसूलता पाया गया तो उसके विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन के इस निर्णय से अभिभावकों को बड़ी राहत मिली है और शिक्षा को व्यवसाय बनाने वालों को कड़ा संदेश दिया गया है।