उत्तराखंड के फ़ैमिली कोर्ट में 16 हजार केस पेंडिंग पड़े हुए है। एडवोकेट नदीम उद्दीन ने कहा कि यदि समान नागरिक संहिता लागू हुआ तो फ़ैमिली कोर्ट मैटर और ज्यादा बढ़ेंगे।
साथ ही उन्होंने कहा कि रूड़की में सबसे अधिक और टिहरी में सबसे कम परिवार बिखर रहे है। जबकि सर्वाधिक केस 5047 हरिद्वार जिले में है। और सबसे कम टिहरी गढ़वाल में 150 केस लंबित है।
देहरादून: उत्तराखंड में जनवरी 2022 के प्रारंभ में परिवार न्यायालयों में विवाह-तलाक आदि परिवार सम्बन्धी 15,997 केस लंबित हैं। ऐसे में जब मुख्यमंत्री द्वारा समान नागरिक संहिता लागू करने की घोषणा की गयी है तब इसके लागू होने के बाद फ़ैमिली कोर्ट मामलों में बढ़ोत्तरी तथा लंबित केसों के निपटारे में और अधिक समय लगने के आसार हैं।
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के लोक सूचना अधिकारी से उत्तराखंड उच्च न्यायालय के अधीनस्थ परिवार न्यायालय में लम्बित वैवाहिक (तलाक, विवाह विच्छेद, प्रथककीकरण आदि) केसों की सूचना मांगी थी। इसके उत्तर में उत्तराखंड उच्च न्यायालय के राज्य लोक सूचना अधिकारी/ज्वाइंट रजिस्ट्रार ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के अधीनस्थ परिवार न्यायालयोें में लम्बित परिवार न्यायालय सम्बधी वैवाहिक केसों के विवरण की फोटो प्रतियां उपलब्ध करायी है।
आपको बता दे कि नदीम को उपलब्ध विवरणों के अनुसार वर्ष 2022 के प्रारंभ में उत्तराखंड के जिलों में कुल 18 परिवार न्यायालयों में 15,997 केस लंबित थे। इसमें सर्वाधिक 5047 केस हरिद्वार के 3 परिवार न्यायालयों, जबकि सबसे कम 150 केस टिहरी गढ़वाल के परिवार न्यायालय में लंबित हैं।
RTI के जरिए उपलब्ध जानकारी के अनुसार अल्मोड़ा के परिवार न्यायालय में 257, देहरादून के तीन परिवार न्यायालयों में क्रमशः 968, 1048 तथा 1078, ऋषिकेश के परिवार न्यायालय में 583, विकास नगर में 526, हरिद्वार जिले के लक्सर परिवार न्यायालय में 328, रूड़की में 2355, नैनीताल के परिवार न्यायालय में 606, हल्द्वानी में 1465, कोटद्वार में 641, टिहरी गढ़वाल में 150, रूद्रपुर के दो परिवार न्यायालय में क्रमशः 1022 तथा 354 तथा काशीपुर के परिवार न्यायालय में 1328 केस तथा खटीमा के परिवार न्यायालयों में 742 केस लंबित हैं।